जम्मू कश्मीर की दो मुख्य राजनितिक पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) द्वारा धारा 370 को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान के आधार पर इन दोनों पार्टियों की मान्यता ख़ारिज करने की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुधार के साथ दोबारा याचिका दाखिल करने के लिए कहा है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता यूथ फॉर इक्वलिटी को याचिका में सुधार करने के लिए निर्देशित कर इसे दोबारा दाखिल करने के लिए कहा है। दरअसल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और प्रमुख फारुक अब्दुल्ला लगातार धारा 370 पर आपत्तिजनक बयान देते रहे हैं। फारुक अब्दुल्ला ने सोमवार (1 जुलाई) को एक बार फिर धारा 370 पर बयान देकर इस विवाद को तूल दे दिया था।
फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर धारा 370 अस्थायी है तो इस तरह से कश्मीर पर भारत का अधिग्रहण भी अस्थायी है। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के महाराजा ने जब इसे मंजूर किया, यह तब भी अस्थायी था। अब्दुल्ला ने कहा कि उस वक़्त कहा गया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा और जनता निर्धारित करेगी कि भारत या पाकिस्तान में से वो किसके साथ जाएगी। उन्होंने कहा कि जब ऐसा नहीं किया गया है तो धारा 370 कैसे हटा सकते हैं। महबूबा मुफ़्ती भी धारा 370 को लेकर कुछ ऐसे ही बयान देती रही हैं।