मोदी सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में एक अच्छी खबर आई है. देश के आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही. यह इसके पिछले पांच महीने का उच्चतम स्तर है.
देश के आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही. यह पांच महीने का उच्चतम स्तर है. पिछले साल इसी महीने में बुनियादी उद्योग क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में आठ बुनियादी उद्योगों-कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत पर स्थिर रही.
स्टील और सीमेंट सेक्टर में बेहतरीन उत्पादन की वजह से पूरे कोर सेक्टर का आंकड़ा अच्छा आया है. कोयला उत्पादन में मार्च 2019 में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि रही. प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात और सीमेंट क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हुई है. हालांकि, कच्चे तेल के उत्पादन में मार्च में 6.2 प्रतिशत की गिरावट रही. वहीं, बिजली उत्पादन में मार्च महीने में 1.4 प्रतिशत की कमी आई.
कच्चे तेल तथा तथा रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में गिरावट से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर एक माह पहले फरवरी में 2.1 प्रतिशत रही थी. बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर का असर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर भी पड़ेगा, क्योंकि इन खंडों की औद्योगिक उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 41 प्रतिशत होती है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक मार्च 2019 में 145 रहा, जोकि मार्च 2018 के सूचकांक से 4.7 फीसदी अधिक है. अप्रैल से मार्च (2018-19) की अवधि में इसकी संचयी विकास दर 4.3 फीसदी रही है.’
गौरतलब है कि कच्चे तेल और रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन घटने की वजह से आठ बुनियादी यानी कोर इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट फरवरी में घटकर 2.1 फीसदी पर आ गई थी. फरवरी, 2018 में बुनियादी इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रही थी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक 2018-19 वित्त वर्ष की अप्रैल से फरवरी की अवधि में आठ बुनियादी उद्योगों की औसत वृद्धि दर 4.3 फीसदी पर स्थिर रही.
इसी तरह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती से फरवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 0.10 फीसदी रही थी. पिछले साल फरवरी में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 6.90 फीसदी रही थी. बता दें कि औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर जनवरी महीने में भी धीमी पड़कर 1.7 फीसदी रह गई थी.
एक साल पहले यानी जनवरी, 2018 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 7.5 फीसदी रही थी. दिसंबर, 2018 के आईआईपी आंकड़ों को ऊपर की ओर संशोधित कर 2.6 फीसदी कर दिया गया था. पहले इसके 2.4 फीसदी रहने का अनुमान था.