एच3एन2 स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का म्यूटेटेड वायरस है। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं लेकिन समय बीतने के साथ यह काेरोना की तरह श्वसन तंत्र यानी फेफड़ों को प्रभावित करता है। देश में अबतक तीन लोगों की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है।
राजधानी के जिन क्षेत्रों में फ्लू के ज्यादा मरीज मिलेंगे, वहां रैंडमली रोगियों के नमूने लेकर एच3एन2 वायरस की जांच कराई जाएगी। अगमकुआं स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की शाखा राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (RMRI) में पटना की एक महिला की रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद सिविल सर्जन ने इस बाबत आदेश दिए हैं।
सोमवार को इसके लिखित आदेश जारी किए जाएंगे। सिविल सर्जन डा. श्रवण कुमार ने बताया कि भारत सरकार के 11 मार्च को जारी निर्देशों की जानकारी वाट्सएप पर सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को दे दी गई है। अभी तक प्रदेश में यह वायरस के गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं पर पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
इसी क्रम में जिन क्षेत्रों में फ्लू के लक्षण वाले ज्यादा मरीज आएंगे, उनकी तुरंत जानकारी मांगी गई है। जिन क्षेत्रों में फ्लू के ज्यादा मरीज होंगे, वहां के गंभीर रोगियों के रैंडमली नमूने लेकर एच3एन2 वायरस की जांच के लिए आरएमआरआइ भेजा जाएगा। फिलहाल, वायरल पीड़ित सभी लोगों को दूसरों से दूरी बनाकर रहने का परामर्श दिया जा रहा है। सिविल सर्जन ने बताया कि जिस महिला की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी, अब वह रोगमुक्त हो चुकी है।
बताते चलें कि एच3एन2 स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का म्यूटेटेड वायरस है। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ यह काेरोना की तरह श्वसन तंत्र यानी फेफड़ों को प्रभावित करता है। देश में अबतक तीन लोगों की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है।
आरएमआरआइ के निदेशक डा. कृष्णा पांडेय ने बताया कि अबतक 21 वायरल पीड़ितों के नमूने सीरोलाजिकल जांच के लिए लिए गए थे, उनमें से तेज खांसी व बुखार से पीड़ित महिला की रिपोर्ट एच3एन2 एनफ्लुएंजा पाजिटिव आई है। शेष लाेगों में सामान्य वायरल फ्लू था, जो चार से पांच दिन में स्वत: ठीक हो जाता है।
चार गुना तेजी से फैलता है H3N2 वायरस
आरएमआरआइ के निदेशक डा. कृष्णा पांडेय, एनएमसीएच में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. अजय कुमार सिन्हा और इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. बीरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, स्वाइन फ्लू की तरह यह वायरस भी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को ज्यादा परेशान करता है। सामान्य फ्लू की तुलना में रोगी को स्वस्थ होने पर तीन गुना अधिक समय लगता है जबकि यह उसकी तुलना में चार गुना तेजी से फैलता है।
6 प्रतिशत बच्चों-बुजुर्गों को आइसीयू की जरूरत
डा. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि गत एक माह में फ्लू लक्षण लेकर आए 6 बच्चों को आइसीयू में रखा गया था। वहीं पीएमसीएच व एनएमसीएच में सांस फूलने, सीने में घरघराहट और तेज खांसी की शिकायत पर कई रोगियों को भर्ती किया जा रहा है।
आइसीएमआर के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने वाले एच3एन2 पीड़ितों में से 92 प्रतिशत को तेज बुखार, 86 प्रतिशत को तेज खांसी की शिकायत थी। इनमें से 27 प्रतिशत को सांस फूलने, 16 प्रतिशत को घरघराहट, 16 प्रतिशत को निमोनिया के अलावा 6 प्रतिशत में दौरे तक के लक्षण थे। गंभीर श्वसन संक्रमण के कारण 10 प्रतिशत रोगियों को आक्सीजन और 7 प्रतिशत को आइसीयू की जरूरत पड़ी है।
कोरोना जैसे ही बचाव के उपाय
- दिन में कई बार हाथों को साबुन से ठीक से धोएं ताकि त्वचा में कोई वायरस नहीं चिपका रहे।
- बिना हाथ धोए चेहरा, नाक, मुंह व आंख को छूने से बचें।
- कोरोना काल की तरह घर से बाहर या भीड़ में जाने पर मास्क जरूर लगाएं।
- छींकने व खांसने के क्रम में नाक व मुंह को बांह या रूमाल से ढंक लें ताकि दूसरे सुरक्षित रहें।
- बुखार व खांसी होने पर खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से दूर दूसरे कमरे में अलग कर लें।
- मौसमी ताजे फलों, सब्जियों के साथ घर का बना उच्च प्रोटीन युक्त ताजा भोजन लें।
- गर्म व ताजा खानपान लें क्योंकि वायरस ठंडे और सामान्य तापमान में ज्यादा सक्रिय होते हैं।
- बीमार हों या नहीं खूब तरल पदार्थ जैसे पानी, फलों का रस, सब्जियों का जूस लें ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहें।
- वायरल से बचाव के लिए आठ घंटे की पूरी नींद जरूर लें। रात में सोने के दो घंटे पहले भोजन व हल्दी-दूध लेना भी फायदेमंद।
- गर्म पानी का सेवन व दो बार भाप लेने से भी काफी बचाव होता है।
बुखार उतरने के बाद ऐसे दूर करें कमजोरी
हाल में वायरस मुक्त हुए बहुत से लोग अब स्वस्थ हो चुके हैं। इसके बाद भी वे कमजोरी और खांसी की शिकायत कर रहे हैं। डाक्टरों के अनुसार, ऐसे लोग घर का पौष्टिक आहार लें और दोबारा संक्रमण नहीं हो, इसलिए मास्क आदि पहन कर ही बाहर जाएं। घर में हल्के व्यायाम और योगाभ्यास करने से जल्द ही कमजोरी दूर हो जाएगी। प्राणायाम से खांसी में भी आराम होगा।
ये लोग बरतें खास सावधानी
- पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग।
- गर्भवती महिलाएं व ऐसे युवा जो लंबे समय से एस्पिरिन थेरेपी ले रहे हों।
- अस्थमा, हाइपरटेंशन, हृदय रोग, मधुमेह, एड्स या किडनी रोग से पीड़ित लोग।
सरकारी-निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत तक फ्लू के मरीज
पीएमसीएच, एनएमसीएच से लेकर छोटे सरकारी अस्पतालों व निजी क्लीनिकों में पहुंचने वाले रोगियों में वायरल बुखार के 50 प्रतिशत तक मरीज हैं। इनमें से अधिकतर को तेज बुखार व खांसी की शिकायत है। खांसी को ठीक करने में एजिथ्रोमाइसिन के बेअसर होने के बाद क्लैथ्रोमाइसिन, ब्रांकोडायलेटर और नेबुलाइलेशन का सहारा लिया जा रहा है।