पंजाब : शंभू, डबवाली और खनौरी सीमा के रास्ते 13 को दिल्ली कूच करेंगे किसान

पंजाब के किसान नेताओं ने बताया कि 13 फरवरी को शंभू, डबवाली और संगरूर के खनौरी सीमा से हरियाणा में दाखिल होंगे। यहां से हरियाणा के किसानों के साथ मिलकर दिल्ली कूच करेंगे। उधर, किसानों के रुख को देखते हुए हरियाणा सरकार ने एहतियात के तौर पर पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा है। पंजाब के साथ लगते जिलों में चौकसी बढ़ा दी गई है। 

पंजाब से 23 किसान संगठनों का मोर्चा 13 फरवरी को शंभू, डबवाली और संगरूर के निकट खनौरी बॉर्डर से दिल्ली कूच करेगा। गांव स्तर पर बैठकें कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली पहुंचने को कहा जा रहा है। बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करने की मंशा से गांव-गांव जाकर राशन, फंड और अन्य जरूरी सामान जैसे तिरपालें, ट्रालियां इत्यादि एकत्रित की जा रही हैं। इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रहेगी।

इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस बार खुद को दिल्ली कूच से अलग रखा है लेकिन एसकेएम ने लोगों से 16 फरवरी को औद्योगिक व क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद में भाग लेने की अपील की है। किसानों के इस मोर्चा में हरियाणा के किसान संगठन भी शामिल हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धपुर) के जगजीत सिंह धालीवाल, प्रोग्रेसिव फार्मर्स फ्रंट, भाकियू (शहीद भगत सिंह), किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारतीय किसान नौजवान यूनियन पंजाब, किसान मजदूर मोर्चा समेत अनेक संगठन किसानों को एकजुट कर रहे हैं।

किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने न तो दिसंबर 2021 में दिल्ली आंदोलन को उठाने के समय किए वादे पूरे किए और न ही 2014 व 2019 के चुनाव पूर्व वादों का सम्मान किया। भारतीय किसान नौजवान यूनियन के अध्यक्ष अभिमन्यु कुहाड़ ने कहा कि हरियाणा और पंजाब के किसान अंबाला के पास शंभू बॉर्डर, सिरसा जिले में डबवाली सीमा और संगरूर के पास खनौरी सीमा से अपना ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे और दिल्ली पहुंचेंगे।

चेताया- सरकार जितनी चाहे बैरिकेडिंग कर ले, दिल्ली पहुंचकर रहेंगे

केंद्र सरकार के कड़े रवैये के बावजूद पंजाब के हजारों किसानों ने दिल्ली कूच के लिए कमर कस ली है। अभी अलग-अलग जिलों में किसानों के धरने चल रहे हैं। किसान जत्थेबंदियों ने चेताया है कि सरकार चाहे कितनी भी बैरिकेडिंग कर ले, वे दिल्ली पहुंचकर ही रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के प्रधान रणजीत सिंह सवाजपुर ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। 

उन्होंने साफ कहा कि यह आंदोलन अनिश्चितकालीन है। जब तक किसानों व मजदूरों की मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक यह जारी रहेगा। फिर चाहे इसके लिए किसानों को कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े? किसानों ने काफी सब्र कर लिया लेकिन अब वह चुप नहीं बैठेंगे। किसान जत्थेबंदियों के नुमाइंदे जिस भी गांव जा रहे हैं, वहां के ग्रामीणों की तरफ से पूरा सहयोग दिया जा रहा है।

दिल्ली जाने वाले किसान के परिवार की होगी पूरी मदद

किसान नेता टहल सिंह ने कहा कि दिल्ली आंदोलन में जाने वाले किसानों के परिवारों की पीछे से पूरी मदद करने के लिए कुछ फैसले लिए गए हैं। इसके तहत अगर उस किसान के परिवार को गेहूं की खेती समेत अन्य किसी भी तरह की मदद चाहिए होगी तो संबंधित गांव के लोग करेंगे। ताकि वह किसान पूरे दिल से आंदोलन में हिस्सा ले सके।

ये हैं प्रमुख मांगें

  • सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी गारंटी अधिनियम बनाया जाए।
  • किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी।
  • लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो।
  • समझौते के अनुसार घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
  • दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज मामले रद्द किए जाएं।
  • आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए।
  • दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए।
  • बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले विधेयक को निरस्त किया जाए।
  • कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
  • कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
  • किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू हो।
  • स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाए

मांगों का समर्थन लेकिन आंदोलन में शामिल नहीं: चढ़ूनी

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन शुरू करने से पहले उनसे बातचीत नहीं की गई। इसलिए वह आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। यह लड़ाई एकजुट होकर लड़ी जानी थी। हालांकि, उन्होंने किसानों संगठनों की मांगों को समर्थन किया है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के नेता सिंगारा सिंह मान का कहना है कि दिल्ली कूच का निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा और उनकी यूनियन का नहीं है।

हरियाणा पुलिस हाई अलर्ट पर, रद्द हो सकती हैं छुट्टियां

किसानों के रुख को देखते हुए हरियाणा सरकार ने एहतियात के तौर पर पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है। पंजाब के साथ लगते जिलों में चौकसी बढ़ा दी गई है। सभी डीसी व एसएसपी को हर हाल में अपने जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर सकती है। इस बारे में पुलिस के आला अधिकारियों के बीच गुरुवार को विचार-विमर्श भी हुआ है। हालांकि अभी इसके आधिकारिक आदेश नहीं हुए हैं। शुक्रवार को इस पर फैसला हो सकता है।

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