नेपाल में दो दशक बाद हो रहे ऐतिहासिक स्‍थानीय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू

माओवादियों के विद्रोह के कारण 1997 के बाद से चुनाव नहीं हो सका था। ऐसे में यहां राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा।

काठमांडू। नेपाल में स्‍थानीय स्‍तर के ऐतिहासिक चुनाव का पहला चरण शुरू हो गया है। सितंबर 2015 में नेपाल द्वारा नया संविधान लागू किए जाने के बाद यहां पहली बार चुनाव हो रहा है। माओवादियों के विद्रोह के कारण 1997 के बाद से चुनाव नहीं हो सका था। ऐसे में यहां लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा। पहले चरण के तहत 6,642 पोलिंग स्‍टेशनों पर मतदान शुरू हो चुका है।

नेपाल में दो दशक बाद हो रहे ऐतिहासिक स्‍थानीय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू

दो चरणों में होगा मतदान

नेपाल में निकाय चुनाव 14 मई एवं 14 जून को दो चरणों में होगा। इस चुनाव में 1 करोड़ 40 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

मधेशी कर रहे चुनाव का बहिष्कार

मधेशियों के द्वारा निकाय चुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है। मधेशियों का कहना है कि संविधान निर्माण में उनकी अनदेखी की गई है। अब ऐसे में एक ओर नेपाल सरकार किसी भी कीमत पर शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के मूड में है, वहीं मधेशी मोर्चा द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।

नए संविधान विधायक के विरोध में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के द्वारा नेपाल में 14 मई को होने वाले निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। तमलोपा के उपाध्यक्ष हृदेश त्रिपाठी ने बताया कि नेपाल में बने नए कानून में मधेशियों की अनदेखी की गई है। इन्हें सरकारी क्षेत्रों में बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया है।

जानें कौन हैं ये मधेसी

नेपाल दो भागों में बांटा है पहला पहाड़ी क्षेत्र दूसरा तराई क्षेत्र। तराई क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को मधेशी कहा जाता है। जो मूलत: भारतीय मूल के लोग हैं, जिनके वंशज नेपाल में जाकर बस गए हैं। यह क्षेत्र पूरब में मेची से लेकर महाकाली नदी तक फैला है। उनका संबंध भारतीयों से हैं। भारत में शादी विवाह संबंध सदियों से होने के कारण इसे बेटी रोटी का रिश्ता भी कहा जाता है। नेपाल के संविधान में मधेशियों की उपेक्षा को लेकर मधेशी ऊग्र हो गए हैं। इन्हें अपने घर में ही दोयम दर्जे का नागरिक बनाया गया है।

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