डेट फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जो फिक्स्ड इन्कम सिक्योरिटीज जैसे, गर्वनमेंट सिक्योरीटीज, कॉरपोरेट बॉन्ड, सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट वगैरह में निवेश करते हैं. डेट फंड निवेशकों के लिए ज्यादा सुरक्षित निवेश इंस्ट्रूमेंट्स माने जाते हैं. डेट फंड की कुछ स्कीमें छोटी अवधि वाली सिक्योरिटी में निवेश करती हैं तो कुछ लंबी अवधि के बॉन्ड में पैसा लगाती हैं. हालांकि इनमें रिस्क लेवल भी अलग-अलग होता है.
डेट फंड में निवेश से पहले निवेशकों को अपने जोखिम लेने की क्षमता का आकलन कर लेना चाहिए. अगर आपमें जोखिम लेने की क्षमता नहीं है तो शॉर्ट डेट स्कीमों में निवेश बेहतर होता है. इनमें लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आदि शामिल है. अगर आप डिफॉल्ट रिस्क से बचना चाहते हैं तो आपको क्रेडिट रिस्क फंडों से बचना चाहिए. आइए देखते हैं कि डेट फंड कितने तरह के होते हैं और इनमें निवेश आपके लिए कितना कारगर हो सकता है.
लिक्विड फंड
लिक्विड फंड काफी कम अवधि के मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. ये लिक्विडिटी के हिसाब से काफी अच्छा माने जाते हैं. इन फंडों से पैसा निकालने के लिए आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके पास पैसा आ जाता है.
ओवरनाइट फंड
ऐसे फंड एक दिन में मेच्योर होने वाली सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. डेट फंडों में ओवरनाइट फंड को सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इनकी अवधि सबसे कम होती है. इन स्कीमों में ब्याज दर.या किसी सिक्योरिटी के डिफॉल्ट का फर्क नहीं पड़ता.
लो ड्यूरेशन फंड
ये स्कीमें छह महीनों से लेकर एक साल में मैच्योर होने वाली डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में पैसा लगाती हैं.
अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड
अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड तीन से छह महीनों में मैच्योर होने वाले फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगाते हैं. लिक्विडिटी और रिटर्न के मामले में अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड लिक्विड फंड जैसा ही काम करते हैं.
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड
जैसा कि नाम से ही जाहिर है इन स्कीमों के तहत कंपनियों के बॉन्ड में पैसे लगाए जाते हैंं. हालांकि अपने फोर्टफोलियो का कम से कम 80 फीसदी सबसे ज्यादा रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना जरूरी है.
गिल्ट फंड
ये फंड सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. इन स्कीमों के लिए अपने एसेट का कम से कम 80 फीसदी सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करना जरूरी है. इनके अलावा भी डेट फंड्स की कई कैटेगरी होती हैं. इनमें अपने निवेश लक्ष्य और जोखिम लेने की अपनी क्षमता के मुताबिक करना चाहिए.