राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस (COVID-19) की संक्रमण दर धीमी पड़ने के बावजूद अचानक से अस्पतालों में मरीजों मरीजों की संख्या एक बार फिर बढ़ने लगी है। लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल में जहां गैर-कोविड रोगियों को भर्ती किए जाने की संख्या में वृद्धि देखी गई है। वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।
एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि उनके अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 100-110 रोगी भर्ती होते हैं। डॉ. कुमार ने गुरुवार को एएनआई को बताया कि 2,000 बेड्स में से, 1,000 बेड्स पर गैर-कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है। हम प्रतिदिन 100-110 गैर-कोविड मरीजों को भर्ती कर रहे हैं। ऐसे मरीजों द्वारा बेड्स तेजी से भरते जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन गैर-कोविड मरीजों में कैंसर से पीड़ित लोग, प्रसव के मामले और अन्य लोग शामिल हैं जो सर्जरी करवाना चाहते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या बेड ऑक्यूपेंसी में वृद्धि संभावित तीसरी लहर में एक बाधा होगी, डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि नहीं, हमारे पास COVID-19 मरीजों के लिए एक समर्पित इमारत है जो खाली है। हमने COVID19 मरीजों के लिए लगभग 1,500 बेड खाली छोड़ दिए हैं।
चिकित्सा निदेशक के अनुसार, एलएनजेपी अस्पताल में बेड ऑक्यूपेंसी में वृद्धि रेफरल मामलों के कारण हुई है जो उन्हें पूरे उत्तर भारत से आते हैं। उन्होंने कहा कि हमें उत्तर भारत से बहुत सारे रेफरल केस मिलते हैं, यही वजह है कि गैर-कोविड मरीजों की प्रवेश दर में वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि जब देश में महामारी की पहली लहर आई थी तब एलएनजेपी अस्पताल को 17 मार्च, 2020 को कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने के लिए एक समर्पित अस्पताल के रूप में घोषित किया गया था।
क्या है पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस?
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोविड के बाद की जटिलताओं के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. एम. वली ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि ये मामले पहली और दूसरी लहर से हैं। मैं रोजाना 5-6 मामले देख रहा हूं। मरीजों को मांसपेशियों में ऐंठन, जी मचलाना, थकान, अत्यधिक बाल गिरने, धड़कन बढ़ने और मस्तिष्क जैसी जटिलताएं होती हैं। कुछ लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं हो गई हैं। कई मरीज आंखों में दर्द की शिकायत के साथ आते हैं। ये सभी पोस्ट कोविड सिंड्रोम हैं। वैज्ञानिक रूप से हम इन्हें लंबे समय तक चलने वाले बुलाते हैं।
डॉ. वली ने कहा कि लंबे समय तक चलने वालों की पहचान करना महत्वपूर्ण हो जाता है। लोगों को पोस्ट कोविड जटिलताओं पर नजर रखने की जरूरत है। कई रोगी सांस लेने में शिकायत के साथ आ रहे हैं। जो यह बताता है कि हमें ऐसे मरीजों के लिए और बेड्स की आवश्यकता है। इन मरीजों के लिए, हमें आईसीयू की आवश्यकता नहीं है, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी होगी।
दिल्ली ने गुरुवार को 24 घंटे के भीतर कोरोना के 49 नए मामले सामने आए थे, जबकि 41 मरीज रिकवर हुए थे और एक भी मौत नहीं हुई थी। राजधानी में 502 सक्रिय मामले हैं, जबकि पॉजिटिविटी रेट 0.07 प्रतिशत था। महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक 14,36,938 मामले सामने आए हैं, इनमें से 14,11,368 ठीक हो चुके हैं और 25,068 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं।
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