तेज प्रताप यादव की शादी में शनिवार रात्रि देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कई दलों के दिग्गज शामिल हुए। इन नेताओं में फारूक अब्दुल्लाह, अखिलेश यादव, अजीत सिंह, शरद यादव, प्रफुल पटेल, शत्रुघ्न सिन्हा, दिग्विजय सिंह, हेमंत सोरेन, सीताराम येचूरी एवं डी. राजा प्रमुख थे। इन नेताओं ने भले ही कोई सियासी बयान नहीं दिया, मगर समारोह में एकसाथ इनकी मौजूदगी बहुत कुछ कह गई। मगर फोकस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे। वे आए तो लालू प्रसाद ने उठकर उनका स्वागत किया और देर तक उनसे हाथ मिलाए रहे।
कैमरा वालों के लिए वह क्षण भी बहुत अहम था जब लालू प्रसाद के दूसरे पुत्र एवं बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार के बगल में आ बैठे। सियासी कटुता को शादी के उमंग और खुशी से भरे माहौल ने पहले ही दूर भगा दिया था।
साथ दिखे पक्ष-विपक्ष के नेता
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान आए तो तेजस्वी ने उनसे अपनी जगह बैठने का आग्रह किया और खुद पीछे खड़े हो गए। लालू प्रसाद के बाएं तरफ लगी कुर्सी पर राम जेठमलानी भी मौजूद थे।
लालू प्रसाद के बड़े पुत्र की शादी में बिहार के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति दिखी। जीतन राम मांझी दिखे। उपेंद्र कुशवाहा दिखे, मगर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को आंखें तलाश रहीं थीं। वे पोलैंड की अपनी यात्रा के कारण समारोह में नहीं आ सके। सरयू राय मौजूद थे।
लोगों की नजरें उन नेताओं पर भी थी जो पिछले कुछ महीनों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ गोलबंदी के लिए सक्रिय हैं। शरद यादव ने समारोह में शामिल होने से पूर्व केवल कर्नाटक चुनाव पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा की हार होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या जनता दल (सेक्युलर) वहां जीत दर्ज करेगी, उन्होंने कहा कि यह चुनाव का नतीजा बताएगा कि किसकी जीत होगी, लेकिन यह तय है कि वहां भाजपा की हार होगी।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ आई उनकी पत्नी डिंपल यादव ने कहा कि दुख और सुख जीवन का हिस्सा हैं। आते-जाते रहेंगे। हम लालू परिवार की खुशियों में शामिल होने आए हैं। भाकपा के डी. राजा और माकपा के सीताराम येचूरी ने भी कोई राजनीतिक बयान नहीं दिया मगर शरद यादव की विभिन्न दलों की गोलबंदी के प्रयास में ये दोनों नेता भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। समारोह में इन नेताओं की एकसाथ मौजूदगी आने वाले दिनों की गोलबंदी के संकेत दे रही थी।