चंडीगढ़ पीजीआई में 10 जनवरी को एडमिट कराए जाने के बाद एक ही दिन बीता था कि 11 जनवरी को डॉक्टर्स ने वो मनहूस खबर सुना दी, जिसे सुनते ही परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। अस्पताल की औपचारिकता पूरी करने के बाद परिजन गुरतेज के शव को गाड़ी से बरनाला स्थित गांव पक्खोकलां में अंतिम संस्कार करने के लिए ले जा रहे थे, इसी दौरान वह जीवित हो उठा। अब सवाल यह है कि वह कैसे जीवित हो उठा। बड़ी ही रोचक है गुरतेज के दोबारा जीवित होने की यह कहानी।
से गांव पक्खोकलां ले जाते वक्त जब रूड़ेके कलां में गाड़ी रोक गुरतेज के जब कपड़े बदले जाने लगे तो साथ में बैठे पड़ोसी ने सतनाम सिंह को सांस चलने का एहसास हुआ। परिजनों की जान में आ गई, उन्होंने पास में मौजूद केमिस्ट को बुलाया तो उसने गुरतेज का ब्लड प्रेशर चेक किया। चेक-अप के बाद केमिस्ट ने कहा कि सबकुछ ठीक है और इसी बीच गुरतेज ने अपनी आंखें खोल दीं और वह बोलने लगा। परिजन बाद में गुरतेज को बरनाला के सिविल अस्पताल ले गए। इसके बाद उसे बाबा फरीद मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया गया।