हिंदी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदन्त संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल 10 मई को एकदन्त संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है।

इस दिन भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि के लिए एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी भगवान गणेश जी की पूजा-आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की सबसे पहले पूजा की जाती है।
ऐसे में एकदन्त संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। अगर आप इस दिन निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
धर्मिक ग्रंथों में निहित है कि भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय है। अतः एकदन्त संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्हें मोदक जरूर भेंट करें। साथ ही धुप-दीप और दूर्वा आदि से गणेश जी की पूजा करने से प्रभु जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
कृपा करो गणनाथ प्रभु-शुभता कर दें साथ।
रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ प्रभु, सब हैं तेरे पास।।
ये सब मेरे साथ हो-हे गणपति भगवान।
पूर्ण करो प्रभु कामना, आपको बारंबार प्रणाम।।
इस मंत्र के उच्चारण से व्यक्ति को शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।।
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के ज्ञान में प्रति दिन बढ़ोत्तरी होती है। इस मंत्र का कम से कम 11 बार जरूर जाप करना चाहिए।
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
इस मंत्र में भगवान गणेश के सभी नामों का वर्णन है, जिसके उच्चारण से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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