जबलपुर। भगवान गणेशजी को सर्व सिद्घिदाता माना जाता है। रिद्घि-सिद्घि के स्वामी भगवान गणेशजी की प्रतिमा को विवाह योग्य युवक-युवतियों द्वारा गणेश विसर्जन के समय नदी या तालाब के किनारे से विसर्जन के पहले चुरा लिया जाता है। इसके बाद वे इन्हें घर के देव स्थल में स्थापित कर इसकी पूजन अर्चना करते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
अनंत चौदस के दिन गणेश विसर्जन के दौरान इस बार फिर अनेक गणपति बप्पा की प्रतिमाएं चोरी होंगी, जिन्हें लोग श्रृद्घाभाव से घर में स्थापित कर पूजन करते हैं। यह चोरी विवाह योग्य युवक-युवतियों द्वारा ही की जाती है। इस परंपरा का चलन पहले बुंदेलखंड में होता था, लेकिन धीरे-धीरे दूसरे क्षेत्रों के लोग भी इसे करने लगे हैं।
जब तक शादी नहीं होगी तब तक गणेश जी का विसर्जन नहीं
मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी पर स्थापित गणेश प्रतिमाओं को दसवें दिन विसर्जन का विधान है, लेकिन विवाह योग्य युवक-युवती इन्हें यह कहकर चुराकर ले आते हैं कि जब कि हमारी शादी नहीं होगी तब तक हम आपको विसर्जित नहीं करेंगे, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
पूर्वजों के अनुसार जो माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर परेशान रहते हैं। उनके द्वारा गणपति बप्पा की प्रतिमा की चोरी अपने विवाह योग्य पुत्र या पुत्री से कराई जाती है। अगली गणेश चतुर्थी यानि गणेश उत्सव के पूर्व उनकी शादी हो जाती है। इसका चलन पहले ग्रामीण इलाकों में था, लेकिन धीरे-धीरे यह अनेक क्षेत्रों में किया जाने लगा।
घर ले आए थे गणपति
पिछले साल अनंत चौदस के दिन मामी के कहने पर गणपति बप्पा को तालाब के किनारे से चुराकर ले आए थे। वहां काफी भीड़ होने से प्रतिमा को उठाने में काफी डर लग रहा था, लेकिन बाद में दुपट्टे में छिपा कर प्रतिमा ले आए थे। इसके आठ माह बाद मेरी शादी हो गई।
पंडाल से ही ले आए थे
वर्ष 2010 में मम्मी-पापा के कहने पर गणेश प्रतिमा की चोरी गणेश पंडाल से ही कर ली थी। अंनत चौदस पर पंडाल में हवन पूजन चल रहा था। इसी दौरान छोटी सी गणेश प्रतिमा चोरी कर ली थी। उसी साल मई में शादी हो गई थी।
चुराएंगे गणपति
मम्मी ने इस बार गणेश प्रतिमा की चोरी करने कहा है। गणेश पंडालों से ही प्रतिमा चुराने का प्रयास करेंगी। हालांकि ऐसा करने की सोचने में घबराहट हो रही है। लेकिन कैसे भी प्रतिमा चुराकर घर में रखेंगे।
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