खान-पान सही न होने से पेट से जुड़ी कई दिक्कतें पैदा हो जाती हैं। इनमें से एक है पेट का फ्लू यानी ‘स्टमक फ्लू’, जिसे मेडिकल भाषा में गेस्ट्रोएन्टराइटिस कहते हैं। स्टमक फ्लू पाचन तंत्र में सूजन की वजह से या फिर पेट में इंफेक्शन की वजह से हो सकती है। यह बीमारी बहुत गंभीर नहीं होती लेकिन इसे नज़रअंदाज़ करना भी भारी पड़ सकता है। ‘स्टमक फ्लू’ का कारण आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी या फिर दवाओं का रिएक्शन भी हो सकता है।
क्या है ‘स्टमक फ्लू’
‘स्टमक फ्लू’ में रोगी पेट में ऐंठन, दस्त और उल्टी जैसी शिकायत करता है। ‘स्टमक फ्लू’ से प्रभावित व्यक्ति को दस्त भी हो सकते हैं। नोरोवायरस, रोटावायरस, एस्ट्रोवायरस आदि वायरस अक्सर दूषित खाने या फिर पानी में पाए जाते हैं। ये वायरस खाने या पानी के साथ शरीर में घुस जाते हैं और संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं। इसका बच्चों से लेकर बुजुर्गों और कमज़ोर प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों को ख़तरा ज़्यादा होता है।
गर्मी और बारिश में ज़्यादा ख़तरा
आमतौर पर स्टम फ्लू के मामले गर्मी या फिर बारिश के मौसम में ज़्यादा देखे जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन मौसम में होने वाली गर्मी, उमस और नमी इस बीमारी के जीवाणुओं को पनपने के लिए अनुकूल माहौल देती है। इस मौसम में फल, सब्जियां और यहां तक कि पका हुआ खाना भी जल्द खराब हो जाता है। वहीं, मक्खी, मच्छर भी इन जीवाणुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं।
- ‘स्टमक फ्लू’ के लक्षण
- भूख कम लगना
- पेट दर्द होना
- दस्त
- जी मिचलाना
- उल्टी
- ठंड या कंपकपी लगना
- बुख़ार
- जोड़ों का अकड़ना
- मांसपेशियों में दर्द
- त्वचा में हल्की जलन होना
- ज्यादा पसीना आना
स्टमक फ्लू से बचने के लिए क्या करें?
गर्मी के मौसम में खासतौर पर पानी का सेवन खूब करें। इसके अलावा ताज़ा फलों का जूस, नींबू पानी, सत्तू, ओआरएस आदि जैसी चीज़ों का सेवन भी करें। तेज़ धूप में बाहर न निकलें। लक्षणों के ज़्यादा गंभीर होने का इंतज़ार न करें, शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखाएं।