जानिए, इन पांच कंपनियों की पूरी डिटेल जिनकी रणनीतिक बिक्री का सरकार ने किया है फैसला

केंद्र सरकार ने सरकारी कंपनियों का रणनीतिक विनिवेश शुरू करने का फैसला किया है। विनिवेश के पहले चरण में पांच कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया गया है। इन पांच कंपनियों में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआइ), कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर्प), टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (टीएचडीसीआइ) और नार्थ ईस्टर्न इलेक्टिक पावर कॉरपोरेशन (नीपको) शामिल हैं। विनिवेश प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा निवेशकों के हिस्सा लेने के लिए सरकार ने अपनी हिस्सेदारी के साथ ही प्रबंधन नियंत्रण भी खरीदार को देने का निर्मय किया है।

टीएचडीसीआइ और नीपको की हिस्सेदारी व प्रबंध नियंत्रण सरकारी क्षेत्र की एक अन्य कंपनी एनटीपीसी को सौंपी जाएगी। इस फैसले के क्रियान्वयन से सरकार के खजाने में बड़ी वृद्धि होगी। सिर्फ बीपीसीएल से ही 56 हजार करोड़ की राशि हासिल हो सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीसीईए के फैसलों के बारे में बताया, ‘सरकार का फैसला है कि कई उपक्रमों में वह अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद से कम करेगी, लेकिन कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण बना रहेगा। ये किस तरह के उपक्रम या कंपनी होंगे, इसके बारे में बाद में फैसला किया जाएगा।’ माना जा रहा है कि सरकार का यह फैसला मुख्य तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों पर लागू होगा, क्योंकि वहां सरकार अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद करके ज्यादा फंड जुटा सकेगी, लेकिन बैंकों या वित्तीय संस्थानों पर सरकार का नियंत्रण ही बना रहेगा।

इस तरह के प्रस्ताव पर वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और बाद में यूपीए-2 में भी विचार किया गया था। माना जा रहा है कि सीसीईए का यह फैसला दुनिया के निवेशक समुदाय को भारत में आर्थिक सुधारों के प्रति एक नये भरोसे का संचार करेगा।

कंपनियों में इतने फीसद हिस्सेदारी बेचेगी सरकार

सीतारमण ने बताया कि बीपीसीएल में केंद्र की 53.29 फीसद हिस्सेदारी है, जिसे नए रणनीतिक साझेदार को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। हालांकि, असम स्थित नुमालीगढ़ रिफाइनरी (एनआरएल) में बीपीसीएल की 61 फीसद हिस्सेदारी को नहीं बेचा जाएगा। एनआरएल को किसी दूसरी सरकारी तेल कंपनी को सौंपने की संभावना है। जहाजरानी क्षेत्र की एससीआइ में केंद्र अपनी पूरी 63.75 फीसद हिस्सेदारी बेच देगी। कॉनकोर में भी 54.8 फीसद में से 30.8 फीसद की रणनीतिक बिक्री की जाएगी। तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने कुछ सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री की थी, लेकिन उसके बाद यूपीए के 10 वर्षो तक इसे अमल में नहीं लाया गया।

इसी वित्त वर्ष में होगी रणनीतिक बिक्री

मोदी सरकार पहले कार्यकाल के दौरान भी इसे नहीं आजमा सकी, लेकिन अब अर्थव्यवस्था के समक्ष कई तरह की चुनौतियों को देखते हुए इस तरीके को फिर से आजमाया जा रहा है। ज्यादातर कंपनियों की रणनीतिक बिक्री का काम इसी वित्त वर्ष में पूरा किया जाएगा। उन्होंने संकेत दिए कि कुछ बड़े फैसलों की घोषणा इसी माह हो सकती है। बीपीसीएल में सउदी अरैमको और शेल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां रुचि रखती हैं।

आइए केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जिन पांच सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया गया है, उनके बारे में थोड़ी जानकारी लेते हैं-

1. भारत पेट्रोलियम (BPCL): भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेट लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है। यह कंपनी कोच्ची और मुंबई में स्थित देश की दो बड़ी रिफाइनरी को ऑपरेट करती है। कंपनी के सीईओ वर्तमान में डी राजकुमार हैं। नेशनल स्टॉक एक्सजेंट पर गुरुवार सुबह कंपनी का शेयर 3.01 फीसद की गिरावट के साथ 528.20 पर कारोबार कर रहा है।

2. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया: शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी भारतीय नौवहन निगम का मुख्यालय भी मुंबई में ही है। यह उन जहाजों का संचालन और प्रबंधन करती है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों लाइनों पर सेवाएं देते हैं। इसकी स्थापना 1950 में मुंबई में हुई थी। कंपनी में 6,242 कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर गुरुवार सुबह 4.09 फीसद की गिरावट के साथ 65.70 पर कारोबार कर रहा है।

3. कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया: इसे कॉनकॉर के नाम से भी जानते हैं। यह रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक नवरत्न पब्लिक सेक्टर कंपनी है। इसकी स्थापना मार्च 1988 में हुई थी। कंपनी का मुख्यालय नई दिल्ली में है। कंपनी ने नवंबर 1989 में भारतीय रेलवे से सात अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के मौजूदा नेटवर्क को संभालने के लिए परिचालन शुरू किया था। कंपनी का शेयर गुरुवार सुबह 0.58 फीसद की बढ़त के साथ 581.50 पर कारोबार कर रहा था।

4. टिहरी हाइड्रो डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड: यह उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार का ज्वाइंट वेंचर है। भारत सरकार के पास कंपनी के 75 फीसद और उत्तर प्रदेश सरकार के पास 25 फीसद शेयर है। कंपनी की स्थापना जुलाई 1988 में हुई थी। इसकी स्थापना 2400 मेगावाट के टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स के विकास, संचालन और रखरखाव के लिए की गई थी।

5. नार्थ ईस्टर्न इलेक्टिक पावर कॉरपोरेशन (NEEPCO): यह मिनि रत्न कैटेगरी-1 की पब्लिक सेक्टर की कंपनी है। यह भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आती है। इसकी स्थापना 2 अप्रेल 1976 को हुई थी। इसकी स्थापना देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बिजली स्टेशनों की योजना, जांच, डिजाइन, निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए की गई थी। इसका मुख्यालय शिलांग में है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com