कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2019 चुनाव के बारे में बताते हुए कहा है कि 2019 के आम चुनावों में मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ा मुद्दा ‘बेरोज़गारी’ का होगा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने वायदा किया था कि वे रोज़गार के अवसर पैदा करेंगे और देश के नौजवानों को आजीविका के साधन उपलब्ध करवाएंगे, लेकिन इस मसले पर जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं हुआ है. इस बार के चुनावों से पहले मोदी सरकार को अपनी इस अक्षमता का जवाब देना होगा.
उन्होंने कहा कि आगामी लोक सभा चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे लेकिन बेरोज़गारी का मुद्दा इनमे सबसे अहम् होगा, क्योंकि सरकार इतनी अक्षम है कि वे नहीं जानते कि नौकरियां कैसे सृजित की जाए. उदाहरणों का हवाला देते हुए चिदंबरम ने कहा कि एक लाख सरकारी स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक थे. “यदि इन शिक्षकों के स्कूलों में कम से कम पांच शिक्षकों की भर्ती की जाती है, तो लाखों नौकरियों का सृजन होता.” उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में कई पद रिक्त थे, लेकिन केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया, जिस कारण युवाओं को रोज़गार नहीं मिल सका.
2019 चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नज़दीक आती जा रही है, देश भर की राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोपों की बौछार करके अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैं. इसी क्रम में कांग्रेस भी भाजपा सरकार की नाकामियों को गिनवाकर आवाम की स्वीकृति हासिल करना चाहती है. वहीं आवाम है जो सारे हालात से बेखबर है, उसके सामने जो तस्वीर रखी जाती है, वो उसे ही सच मानकर अपने विचार निर्मित करती है. इसीलिए तो देश में कार्य से ज्यादा बयानबाज़ी होती है, काम भी जुबान से होते हैं और विकास भी, अगर जमीनी स्तर पर कुछ होता है, तो वो है शोषण.
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