अरब सागर के ऊपर बने तीव्र चक्रवाती तूफान ‘महा’ गुरुवार सुबह तक दीयू के निकट गुजरात के तट पर दस्तक दे सकता है. इसी समय के आसपास बंगाल की खाड़ी में भी चक्रवाती तूफान बुलबुल का खतरा मंडरा रहा है, जो भारत के पूर्वी तट को प्रभावित कर सकता है. चक्रवाती तूफान ‘महा’ के सम्बन्ध में मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि यह गुरुवार से कमजोर पड़ने लगेगा. वहीं चक्रवात बुलबुल भारत में इस वर्ष का सातवां साइक्लोन होगा.
गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत बंगाल की खाड़ी में चक्रवात पबुक के साथ हुई और इसके बाद अप्रैल में फोनी ने भीषण तबाही मचाई थी. इसके बाद अरब सागर में वायु, हीका, क्यार और महा चक्रवात आ चुके हैं. भारत के पश्चिमी तट पर पूर्वी तट की तुलना में बहुत कम चक्रवात होते हैं. यहां तक कि बंगाल की खाड़ी की तरफ अरब सागर की तुलना में चार गुना अधिक चक्रवात होते हैं. वहीं, अरब सागर पर बनने वाले केवल 25 फीसदी चक्रवात ही तट की तरफ जाते हैं, जबकि बंगाल की खाड़ी पर बनने वाले 58 प्रतिशत तूफान तट को जाते हैं.
बीते कुछ दशकों में पश्चिमी तट पर पहुंचने वाले चक्रवातों में से भी कुछ ही बहुत ही तीव्र कैटिगरी में आए हैं. बीते महीने जारी की गई यूनाइटेड नेशन्स इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान की वजह से अरब सागर में और भी अधिक चक्रवात आ सकते हैं. किसी चक्रवात की कैटिगरी कम दबाव वाले क्षेत्र पर हवा की रफ्तार के आधार पर निर्धारित की जाती है. हवा की गति 62 किमी प्रतिघंटा होने पर उसे उष्णकटिबंधीय कहा जाता है और एक नाम दिया जाता है.