एजेंसी/ गर्भपात का सबसे सामान्य कारण है कि निषेचित अंडे के साथ कुछ गड़बड़ी होती है. इसके बावजूद यदि अंडा बढ़ता और विकसित होता है, तो उसके परिणामस्वरूप पैदा होने वाला शिशु शारीरिक रूप से विकलांग होता है.
इसलिए कभी-कभी गर्भपात ऐसे असामान्य जन्म को रोकने का प्रकृति का उपाय है. यदि महिला को मलेरिया या सिफलिस जैसी गंभीर बीमारी हो, वह गिर गयी हो या उसके जननांगों में समस्या हो, तो भी गर्भपात हो सकता है.
कभी-कभी अंडा गर्भाशय के बदले कहीं अन्यत्र, सामान्यतया गर्भ-नलिकाओं में निषेचित होने से भी गर्भपात होता है. ऐसे गर्भ निश्चित रूप से गिर जाते हैं और तब स्थिति खतरनाक हो सकती है.
गर्भपात के दो मुख्य लक्षण होते हैं. योनि से रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में दर्द. शुरुआत में रक्तस्राव बहुत कम होता है, लेकिन बाद में यह तेज हो जाता है और जल्दी ही खून के थक्के दिखाई देने लगते हैं. रक्तस्राव और दर्द, विशेषकर आरंभिक गर्भपात के दौरान आमतौर पर वैसे ही होते हैं, जैसा कि मासिक-धर्म के दौरान होता है.
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