गंगोत्री में बनेगा देश का पहला स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर

देहरादून, केदार दत्त। उच्च हिमालयी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) के संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड बड़ी पहल करने जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रोजेक्ट ‘सिक्योर हिमालय’ के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क में देश के पहले ‘स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर’ तैयार करने की कवायद तेज हो गई है।

नीदरलैंड के मशहूर आर्किटेक्ट प्रो.ऐने फीनिस्त्रा ने इस सेंटर का डिजाइन तैयार किया है। 5.30 करोड़ की लागत से बनने वाले सेंटर में स्नो लेपर्ड के संरक्षण-संवद्र्धन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही यहां पर्यटकों को भी इस दुर्लभ जीव के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस बीच सचिवालय में प्रमुख सचिव वन आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया गया।

स्नो लेपर्ड की यहां के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूदगी के प्रमाण अक्सर कैमरा ट्रैप में कैद होने वाली तस्वीरों से मिलते आ रहे हैं। बावजूद इसके अभी तक यह रहस्य ही है कि उत्तराखंड में इनकी वास्तव में संख्या है कितनी। इसे देखते हुए सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट में स्नो लेपर्ड गणना का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। सर्दी खत्म होने के बाद यह गणना होगी।

अब स्नो लेपर्ड के संरक्षण की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के अनुसार गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए जगह तलाश कर ली गई है। सेंटर का निर्माण गंगोत्री पार्क के प्रवेश द्वार भैरोंघाटी में करीब 2800 फीट की ऊंचाई पर लंका पुल के पास किया जाएगा।

सेंटर का डिजाइन नीदरलैंड के आर्किटेक्ट प्रो.ऐने फीनिस्त्रा ने बनाया है। सेंटर में स्नो लेपर्ड के बारे में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलेंगे। साथ ही शोधार्थियों के लिए व्यवस्था होगी। इसके अलावा पर्यटकों को डॉक्यूमेंट्री के जरिये स्नो लेपर्ड के बारे में जानकारी दी जाएगी।

सचिवालय में प्रमुख सचिव वन आनंदवर्द्धन ने स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर के संबंध में समीक्षा की। इस मौके पर सेंटर का डिजाइन तैयार करने वाले प्रो.फीनिस्त्रा ने प्रस्तुतीकरण दिया। इससे पहले, वन मुख्यालय में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जयराज के समक्ष भी कंजर्वेशन सेंटर से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया गया। पीसीसीएफ के मुताबिक यह देश का पहला स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर है। यह स्नो लेपर्ड के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। कोशिश ये है कि यह सालभर के भीतर अस्तित्व में आ जाए।

समुद्र तल से तीन से साढ़े चार हजार मीटर की ऊंचाई पर 39 किलोमीटर क्षेत्र में एक हिम तेंदुए की मौजूदगी का अनुमान है। दुर्लभ प्रजाति होने के कारण इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) ने हिम तेंदुए को संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल किया है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com