आज कल की व्यस्त दिनचर्या में हर कोई अपना काम एडवांस में करना चाहता है यही तरकीब आज वर्किंग विमेंस भी अपना रही है. सुबह सुबह की भागदौड़ से निजात पाने के लिए सुबह के भोजन की तैयारी कुछ हद तक रात में ही कर लेती है उनमे सब्जी साफ़ करके रखना आटा गुथना शामिल है. अगर आप भी उन महिलाओ में जो अपना कुछ समय बचने के लिए आटा गूथ कर फ्रिज में रख देती है तो आपकी ये आदत आपके लिए खतरनाक हो सकती है. पुराने समय में ऐसा करना गलत माना जाता था. ऐसा कहा जाता था कि यदि घर में दो-तीन दिन पुराना आटा रखा हो तो वो प्रेत आत्माओ को निमंत्रण देने जैसा है. (इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है ये प्राचीन अवधारणा है )
दरअसल गूंथे आटे कि आकृति और मृत्यु के पश्चात पूर्वजो को चढ़ाये गए पिंड कि आकृति सामान होती है.ऐसे में जिन प्रेत आत्माओ को पिंड नहीं मिलता वे आपके घर में आकर पिंड का भोग शुरू कर देती है. इसके पीछे मान्यता है कि बासी खाना प्रेतों का भोजन होता है और इसका भोग करने वाला व्यक्ति जीवन में निराशा, बीमारी, क्रोध और चिड़चिड़ेपन से घिरा रहता है. जबकि ताजा खाना आपको ताजगी से भरपूर और बीमारियो से दूर रखता है और मानसिक शांति भी प्रदान करता है. हमारे शास्त्रो में भी लिखा गया है कि ताजा भोजन शरीर में ऊर्जा का संचार करता है.
ताजा भोजन शरीर को निरोगी बनाने का कार्य करता है. लेकिन जब से फ्रिज का चलन बढा है तब से घरो में बासी भोजन का उपयोग बहुत अधिक हो रहा है. बासी भोजन हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश करता है .जिसके चलते परिवार और समाज में क्रोध, आलस्य और उन्माद की मात्रा में वृद्धि हुई है. अगर आप भी अपने आस पास के लोगो का अवलोकन करे तो ताजा भोजन करने वालो लोग अधिक उत्साही होते है और जल्दी प्रगति करते है. वहीं बासी भोजन खाने वाले आलस से भरे रहते है प्राचीन समय के लोग रात में आटा गूंथकर रखने के पक्ष में नहीं थे. ताजा आटा गूंथने में लगने वाला कुछ समय बचाने के लिए आटा गूथ कर रखना सही नहीं माना जाता है (हम आपको बता दे की इन बातो का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है)