कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हुए लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखी जा रही हैं। वहीं, जिन मरीजों को पहले से न्यूरो की समस्याएं हैं उनके लक्षण बढ़ गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए कुछ मरीजों में ब्रेन फॉगिंग की समस्या देखने को मिल रही है। अगर आप छोटी-छोटी बातों को भूल रहे हैं या फिर आपके लिए किसी बात को याद रखने में मुश्किल आ रही है, तो इसे ब्रेन फॉगिंग का लक्षण माना जा सकता है।

कोरोना से जंग जीतने के बाद अब ब्रेन फॉगिंग लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। इसके अलावा ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की रिकवरी दर भी आधी रह गई है। डॉक्टरों के मुताबिक ब्रेन फॉगिंग के कई सारे प्रकार हैं, जिसमें किसी मरीज को याददाश्त से संबंधित समस्या आ रही है तो किसी को बोलने में दिक्कत आती है। या फिर कोई अपना ध्यान एक जगह नहीं रख पा रहा है। किसी मरीज को नींद नहीं आ रही है। किसी के काम करने की क्षमता कम हो गई है।
स्ट्रोक अधिक जानलेवा हुआ
कोविड की वजह से मरीजों को न सिर्फ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है बल्कि ऐसे मरीजों में स्ट्रोक से रिकवरी दर भी कम पाई गई है। एम्स के आंकड़ों के मुताबिक ऐसे मरीज जिन्हें कोविड संक्रमण था और ब्रेन स्ट्रोक हो गया, उनमें रिकवरी दर मात्र 34 फीसदी रही, जबकि जिन्हें कोविड नहीं था और उन्हें ब्रेक स्ट्रोक हुआ, उनकी रिकवरी दर 65 फीसदी तक हुई।
ठीक होने की दर घटी
एम्स के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर रोहित भाटिया ने कहा कि हमने देश के 18 शहरों के अलग अलग अस्पतालों के आंकड़े देखे तो पाया कि कोविड ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की ठीक होने की दर को बहुत कम कर देता है।
मस्तिष्क के तनाव से दूर रखें
एम्स, न्यूरो विभाग प्रमुख डॉक्टर पद्मा की सलाह के अनुसार अपने मस्तिष्क को तनाव से दूर रखें। नई प्रक्रिया अपने दिमाग के अंदर बनाएं और जो हो चुका है उसको भूल कर आगे बढ़ें। शरीर को पूरी नींद दें और सामाजिक गतिविधियों में खुद को सक्रिय रखें ताकि आपके मस्तिष्क की सक्रियता भी बढ़ती रहे। जिन लोगों को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है उन लोगों के लिए सबसे जरूरी है कि वह अपने न्यूरो डॉक्टर से दवाइयां सुचारु रूप से चालू रखें। प्रदूषण से दूर रहें। धूम्रपान न करें।
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