प्रदेश सरकार की ओर से केदारनाथ धाम में स्थानीय लोगों को दर्शनों की अनुमति दिए जाने के बाद शनिवार को पहली बार सात श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। हालांकि, मंदिर में प्रवेश की अनुमति न होने के कारण वह मायूस नजर आए। उनका कहना था कि श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना उनके साथ नाइंसाफी है।
हक-हकूकधारी, तीर्थ पुरोहित व स्थानीय लोगों को दर्शनों की अनुमति मिलने के बाद शनिवार को पहली बार सात श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे और मंदिर के बाहर से ही बाबा के दर्शन किए। इनमें से एक श्रद्धालु केशवानंद नौटियाल का कहना था कि जब श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश ही नहीं करना है तो फिर शासन-प्रशासन उन्हें केदारनाथ क्यों भेज रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब केदारनाथ पहुंचने के बाद भी श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शनों का सौभाग्य नहीं मिल रहा।
केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहना था कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार को अभी केदारनाथ की यात्रा को पूरी तरह प्रतिबंधित रखना चाहिए। उधर, एसडीएम ऊखीमठ वरुण अग्रवाल ने बताया कि शासन की गाइडलाइन और जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुसार ही श्रद्धालुओं को बाहर से दर्शन कराए जा रहे हैं।
केदारपुरी में आज होगी भैरवनाथ की पारंपरिक पूजा
रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारपुरी में आषाढ़ संक्रांति पर होने वाली बाबा भैरवनाथ की पारंपरिक पूजा आज होगी। इसके लिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही तीर्थ पुरोहित केदारनाथ पहुंच गए हैं।
हर वर्ष आषाढ़ संक्राति पर केदारपुरी में विश्व कल्याण के निमित्त बाबा भैरवनाथ की पूजा व यज्ञ का आयोजन होता है। भैरवनाथ को बाबा केदार के क्षेत्रपाल के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि शीतकाल के दौरान भैरवनाथ ही केदारपुरी और मंदिर की सुरक्षा करते हैं। यह भी कहते हैं कि भक्त को बाबा केदार के दर्शनों का पुण्य तभी प्राप्त होता है, जब वह पहले भैरवनाथ के दर्शन कर ले।