चीन सीमा पर आदि कैलास मार्ग पर कुटी से ज्योलिंगकोंग के मध्य चार स्थानों पर ग्लेशियर खिसक कर मार्ग पर आ गए हैं। मार्ग बंद हो गया है। प्रथम आदि कैलास यात्रा दल को आधार शिविर में ही रोक दिया गया है। मार्ग पर बीआरओ बर्फ हटाने में जुटी है।
शुक्रवार सायं तक तवाघाट-लिपुलेख मार्ग बंद था। 24 घंटे बाद देर सायं मार्ग खुला। यात्रा दल को बूंदी जाना था। बूंदी, गुंजी तक मार्ग खुला है, परंतु आगे चार स्थानों पर ग्लेशियर के हिस्से टूटकर आने से बंद हो गया है। जिसे देखते हुए दल को रोक दिया गया है।
यात्रियों ने शनिवार को भी आधार शिविर में ही प्रवास किया। यात्राधिकारी डीएस बिष्ट ने बताया कि आदि कैलास मार्ग खुलने पर ही दल को उच्च हिमालयी पड़ावों की ओर भेजा जाएगा। आदि कैलास मार्ग कुटी से आगे 13 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाला मार्ग है।
सड़क के ऊपरी क्षेत्र में ग्लेशियर है। मौसम भी अनिश्चित रहता है। जिसे लेकर दल को आधार शिविर से आगे नहीं भेजा जा रहा है। यात्राधिकारी ने बताया कि बीआरओ मार्ग खोलने में जुटा है।
ग्लेशियर की चपेट में आए ग्रामीण की मृत्यु
उच्च हिमालय में ग्लेशियरों के खिसकने का क्रम जारी है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले नजंग में ग्लेशियर खिसकने से बर्फ में दब कर कीड़ा जड़ी दोहन को गए ग्रामीण की मृत्यु हो गई है। वर्तमान में धारचूला, मुनस्यारी के ग्रामीण कीड़ा जड़ी (यारसा गंबू) दोहन को उच्च हिमालयी बुग्याल पहुंचे हैं।
ताजा हिमपात के चलते एवलांच की संभावना प्रबल बनी है। धारचूला के तांकुल गांव के ग्रामीण भी कीड़ा जड़ी दोहन को नजंग ग्लेशियर के क्षेत्र में पहुंचे हैं। इस दौरान नजंग में ग्लेशियर खिसक गया और हिमखंड टूटने से 58 वर्षीय तांकुल गांव निवासी अंबा दत्त भट्ट पुत्र महिमन भट्ट बर्फ में दब गया।
बर्फ में दबने से उसकी मौत हो गई। इस वर्ष की यह कीड़ा जड़ी दोहन के दौरान हुई पहली घटना है। दोहन के लिए छिपलाकेदार, रालम, नंजग सहित अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्र में पहुंचे ग्रामीण मौसम को लेकर परेशान हैं। बुग्यालों में बर्फ जमी होने से दोहन नहीं हो पा रहा है। बर्फ पिघलने के बाद ही कीडा जड़ी फंगस जमीन से बाहर निकलती है तभी जाकर दोहन होता है। कुछ बुग्यालों से तो ग्रामीण वापस लौटने को मजबूर हो चुके हैं।