कलश 36 वर्षों से सिर पर वैसा ही रखा है

मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन नगर उज्जैन में इन दिनों आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। बड़े पैमाने पर श्रद्धालु यहां पर सिंहस्थ 2016 के लिए आने वाले संतों और साधुओं को निहार रहे हैं। ये साधु और सन्यासी शिप्रा नदी के किनारे और इसके आसपास के विभिन्न क्षेत्रों अपने कैंप में श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं तो अलग और कठिन साधनाऐं कर रहे हैं। श्रद्धालु इनक साधना देखकर उनके आगे शीश नवा रहे हैं। 

ऐसे ही एक संत शहर में पहुंचे हैं। रामघाट पर इन संत महाराज को प्रसाद के तौर पर टाॅफियां देते हुए देखा जा सकता है। इन संत महाराज के सिर पर एक कलश रखा हुआ है। संत महाराज ने अपने सिर पर कलश करीब 36 वर्षों से रखा हुआ है। आश्चर्य की बात यह है कि कलश रखने के लिए उन्होंने किसी भी वस्तु का सहारा नहीं लिया। कलश सीधा उनके सिर पर रखा हुआ है। ये संत गुजरात के डाकोर क्षेत्र से यहां पधारे हें। 

इन्हें सभी महंत कन्हैयालाल जी महाराज के नाम से जानते हैं। संत महाराज कन्हैयालाल जी की विशेषता यह है कि कलश इनके सिर पर बना रहता है। कलश को लेकर ये पैदल भी चलते हैं मगर कलश नीचे नहीं गिरता है। संत कन्हैयालाल जी मुंह से अधिक कुछ नहीं बोलते हैं। उन्हें देखते ही श्रद्धालु उनकी ओर उमड़ने लगते हैं और उनके हाथों से टाॅफियां लेते हैं। 

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