भारतीय सिनेमा की चमकती दुनिया में कई रिश्ते ऐसे बनते हैं जो शोहरत और समय से परे होते हैं। सुपरस्टार माधुरी दीक्षित और मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन के बीच की दोस्ती भी ऐसी ही एक अनकही, अनोखी कहानी है, जिसे उन्होंने हाल ही में बड़े भावुक अंदाज में याद किया। एएनआई से बातचीत करते हुए माधुरी ने एमएफ हुसैन के साथ अपनी दोस्ती को याद किया।
मां बनने के सफर को देखने अमेरिका पहुंचे थे हुसैन
माधुरी दीक्षित ने इंटरव्यू में कहा कि जब वह डेनवर (अमेरिका) में रहती थीं, तब हुसैन साहब ने अचानक उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा- ‘तुम्हें एक कलाकार, एक स्टार और एक पत्नी के रूप में देख लिया… अब तुम्हें मां के रूप में देखना चाहता हूं।’ इतना कहकर वो हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर अमेरिका पहुंच गए, सिर्फ इसलिए कि माधुरी को उनके बच्चों के साथ, एक नई भूमिका निभाते हुए देख सकें।
तारीफ या आलोचना करने में हिचकिचाते नहीं थे’
माधुरी दीक्षित ने बताया कि हुसैन साहब कभी उनकी तारीफ या आलोचना करने में हिचकिचाते नहीं थे। उन्होंने कहा- ‘वो अक्सर कहते थे कि ये सीन बहुत अच्छा था और कभी साफ-साफ बोल देते ये मुझे खास नहीं लगा।’ एक बार माधुरी ने उनसे पूछा- किसी एक पेंटिंग का क्या अर्थ है? हुसैन ने जवाब दिया- ‘मैंने चित्र बना दिया, अर्थ तुम निकालो। कलाकार की कोशिश सिर्फ शुरुआत है, कहानी दर्शक पूरी करते हैं।’
‘देवदास’ की शूटिंग का किस्सा
संजय लीला भंसाली की फिल्मों में भव्यता तो रहती ही है, पर इसके पीछे कलाकारों की मेहनत किस हद तक जाती है, यह ‘देवदास’ की टीम अच्छी तरह समझती है। माधुरी ने फिल्म की शूटिंग को याद करते हुए कहा कि कि आइकॉनिक गीत ‘डोला रे डोला’ की शूटिंग उनके और ऐश्वर्या राय दोनों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं थी। भारी आभूषण, वजनी लहंगे और मुश्किल कोरियोग्राफी फिर भी आखिरकार स्क्रीन पर वही जादू उतरा, जिसका भंसाली की फिल्मों में वादा होता है।
माधुरी दीक्षित ने कहा- ‘हम दोनों बार-बार एक-दूसरे को देखकर कहते थे- ओह माय गॉड, कितना भारी है यह!’ इसी तरह ‘मार डाला’ गीत की शूटिंग भी भारी पोशाकों में हुई। लेकिन फिल्म की भव्यता के अनुरूप, हर कॉस्ट्यूम को वास्तविक और पारंपरिक दिखाना जरूरी था।
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