कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी की क्लीनिकल-वैज्ञानिक कावेरी दासगुप्ता ने कहा, ‘यह पहले ही साबित हो चुका है कि टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित माता-पिता के बच्चों में डायबिटीज का खतरा रहता है। अब हमने यह दिखाया है कि गर्भावस्था में डायबिटीज से पीड़ित माताओं की संतान को 22 साल की उम्र में ही इस बीमारी के खतरे का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है डायबिटीज
डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।
डायबिटीज होने के लक्षण
टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्था में अचानक इन्सुलिन के उत्पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है या उन्हें पेट के मोटापे ककी समस्या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।
इसका भी रखें ध्यान
डायबिटीज रोगियों के लिए शाकाहारी होना फायदेमंद हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि सब्जी, फल, साबुत अनाज और फलियां जैसे पौधों से मिलने वाले आहार से टाइप-2 डायबिटीज रोगी ग्लाइसेमिक और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण को बेहतर कर सकते हैं। इससे वजन भी कम हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तरह का आहार ग्लाइसेमिक नियंत्रण और हृदय को सेहतमंद बनाए रखने में लाभकारी होता है। ऐसा आहार निम्न संतृप्त वसा और उच्च फाइबर होने के साथ ही फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है।
डायबिटीज का असर
डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशन दोनों को नॉमर्ल रखना चाहिए। ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में अकसर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स, लकवा, इन्फेक्शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है। आप इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी रखने के साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें।
डायबिटीज के रोगी क्या करें, क्या न करें
- अब बात करेंगे कि डायबिटीज के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। डायबिटीज के रोगियों को एक डेली रूटीन बनाना बहुत ही जरूरी है।
- सुबह जल्दी उठना चाहिए।
- व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए।
- सुस्त जीवनशैली के बजाए सक्रिय जीवन शैली अपनाना चाहिए।
- साइक्लिंग, जिमिंग, स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक ज़रूर करने की आदत डालें।
- डायबिटीज एवं हार्ट की दवाएं कभी बंद नहीं होती हैं। इसलिए मरीज दवाएं कभी नहीं छोड़ें। इन दवाओं से किडनी और लिवर पर कोई असर नहीं पड़ता है।
- चालीस की उम्र के बाद शुगर की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, टीएमटी जांच, रेटिना की जांच जरूर कराएं।
क्या खाएं
- डायबिटीज में थोड़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।
- डायबिटीज में हम सारे मौसमी और रस वाले फल खा सकते हैं। ड्राय फ्रूट्स की बात करें तो अखरोट, बादाम, चिया सीड्स, मूंगफली और अंजीर भी ले सकते हैं।
- अपनी डाइट में गुनगुना पानी, छाछ, जौ का दलिया और मल्टीग्रेन आटा (मिलाजुला अनाज) शामिल करें।
- डायबिटीज के रोगी को दिन में सोना, मल-मूत्र आदि वेगों को नहीं रोकना चाहिए। मांसाहार, शराब और सिगरेट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- डायबिटीज रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ऐसे में वे नींबू पानी लेंगे तो यह उनकी सेहत के लिए और भी अच्छा होगा।
इन चीजों को न खाएं
डिब्बा बंद आहार,बासी खाना, फ़ास्ट फूड, जंक फूड, ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन नहीं खाना चाहिए। इन आयुर्वेदिक उपचारों का पालन करके आप हेल्दी रह सकते हैं।