तीर्थ पुरोहितों ने पांच नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्री केदारनाथ धाम दौरे के विरोध का ऐलान किया है। इसके साथ ही प्रदेश भर में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। तीर्थ पुरोहितों ने उच्च स्तरीय समिति में तीर्थ पुरोहितों को शामिल न किए जाने का आरोप लगाया। कहा कि भाजपा पृष्ठभूमि के लोगों को समिति में शामिल किया गया है।
चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के प्रवक्ता डा. बृजेश सती ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार की कथनी और करनी में अंतर सामने आ रहा है। सरकार ने ऐलान किया था कि समिति में तीर्थ पुरोहितों को शामिल किया जाएगा। बावजूद इसके जिन लोगों को समिति में शामिल किया गया है, उनका तीर्थ पुरोहितों से कोई सरोकार ही नहीं है।
ऐसा कर सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के साथ विश्वासघात किया है। इसका जोरदार विरोध होगा। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि अब विरोध जारी रहेगा। जब तक देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं हो जाता, विरोध प्रदर्शन नहीं रुकेंगे। सरकार को अब पहले देवस्थानम बोर्ड भंग करने का आदेश करना होगा, उसी के बाद आंदोलन समाप्त होंगे।
इससे पहले तीर्थ पुरोहित आंदोलन शांत नहीं बैठेंगे। अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि जब तीर्थ पुंरोहित दो टूक कह चुके हैं कि देवस्थानम बोर्ड को स्वीकार नहीं किया जाएगा। तो सरकार क्यों उच्च स्तरीय समिति बना कर समय व्यर्थ कर रही है। इस समिति पर तीर्थ पुरोहितों को किसी प्रकार का विश्वास नहीं है। श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि विरोध देवस्थानम बोर्ड का है।
ऐसे में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का निर्णय सरकार को जल्द से जल्द लेना चाहिए। ताकि तीर्थ पुरोहितों से सरकार का किया हुआ वादा पूरा हो सके। आपको बता दें कि तीर्थ-पुरोहितों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक सहित कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का सोमवार को केदारनाथ धाम में जमकर विरोध किया था।
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं कि सरकार को तत्काल देवस्थानम बोर्ड को निरस्त कर देना चाहिए। यदि सरकार इसे निरस्त नहीं करती तो कांग्रेस सत्ता में आने पर सबसे पहले इसी बोर्ड को खत्म करेगी। केदारनाथ धाम में भाजपा के नेताओं का विरोध जनता का आक्रोश है। तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों की सुनवाई नहीं की जा रही है। आखिर वो भी जाएं तो जाएं कहां? सरकार को तुरंत इस काले कानून को वापस लेना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि पूर्व सीएम समेत भाजपा नेताओं का केदारनाथ में जिस प्रकार विरोध हुआ, वो भविष्य का संकेत है। यहां की जनता भाजपा की अन्यायकारी सरकार को माफ नहीं करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार जनता के हितों की सुरक्षा करेगी, विकास के लिए काम करेगी। लेकिन, यह सरकार तो जनता की सबसे बड़ी दुश्मन साबित हो रही है।
दो साल से चल रहा है बोर्ड का विरोध
देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार के खिलाफ तीर्थ पुरोहित दो साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य भर में विरोध प्रदर्शन के साथ धामों में भी लगातार प्रदर्शन किया जा रहा था। सरकार के साथ हुई सहमति के बाद आंदोलन एक माह के लिए शांत हुआ था, लेकिन अब दोबारा फिर आंदोलन तेज हो गया है। देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ 27 नवंबर 2019 से आंदोलन शुरू कर दिया गया था। चारों धामों में प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
11 सितंबर 2021 को सीएम के साथ हुई वार्ता के बाद आंदोलन 30 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। 30 अक्तूबर तक देवस्थानम बोर्ड भंग न होने और उच्च स्तरीय समिति में तीर्थ पुरोहितों का प्रतिनिधित्व न होने के कारण विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया गया। अब ये विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। महापंचायत का तर्क है कि जो नाम मांगे गए थे, उससे हटकर लोगों को उच्च स्तरीय समिति में जगह दी गई है। इसका विरोध किया जा रहा है।
तीन नवंबर को केदारनाथ कूच
महापंचायत ने तीन नवंबर को केदारनाथ कूच का ऐलान किया है। महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल और महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सभी धामों और 51 मंदिरों के तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारी तीन नवंबर को श्री केदारनाथ धाम की ओर कूच करेंगे। सरकार पर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का दबाव बनाया जाएगा। जब तक बोर्ड भंग नहीं हो जाता, आंदोलन जारी रहेगा।