26 मई 2021 वैशाख सुदी पूर्णिमा के बाद 10 जून ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्य ग्रहण भारत में अमान्य होगा. इसका सूतक मान्य नहीं होगा. भारत में यह अदृश्य रहेगा. कंकणाकृति सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका, प्रशांत महासागर और आइसलैंड क्षेत्र में दिखाई देगा.
सामान्यतः सूर्य ग्रहण मान्य होने पर इसका सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है. इसमें कोई भी यज्ञ अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं. मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं. केवल हरिभजन की बात शास्त्रोक्त मानी गई है. सूर्य ग्रहण पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से बनता है. इसे खुली आखों से नहीं देखा जाता है. चंद्र ग्रहण के समान ही यह भी विभिन्न भौगोलिक घटनाक्रमों का कारक हो सकता है. इसलिए ग्रहण के दौरान सतर्कता बरती जाती है. खाना नहीं पकाया जाता है. श्रमशील कार्य से बचा जाता है.
सूर्य को पिता प्रबंधन और प्रशासन का कारक माना जाता है. ग्रहण के प्रभाव से आगामी एक से छह माह तक राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ सकती है. विभिन्न देशों के सत्ता केंद्रो में बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सूर्य ग्रहण को खुली आंखों से देखने से बचना चाहिए. इसके लिए रंगीन फिल्म ओर ग्लास का प्रयोग किया जाना चाहिए.
हालांकि कंकणाकृति सूर्य ग्रहण में इसकी जरूरत नहीं रह जाती है. यह सूर्य ग्रहण गुरुवार को होगा. इसके प्रभाव से समाज के प्रतिष्ठित लोगों को यश मान की हानि हो सकती है. सूर्य ग्रहण के प्रभाव से आगजनी, उपद्रव और विभिन्न प्रकार के भौगोलिक एवं राजनीतिक घटनाक्रम बन सकते हैं.