मां धूमावती का प्रकटोत्सव हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार यह 18 जून 2021 शुक्रवार को मनाई जाने वाली है। आपको बता दें कि माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं। अब हम आपको बताते हैं इनके प्रकटोत्सव की कथा और पूजा पर्व का शुभ मुहूर्त।

पर्व पूजा का मुहूर्त :
1. हिन्दू पंचांग के अनुसार जून 18, 2021, शुक्रवार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि है।
2. अष्टमी तिथि रात 08:39 तक रहेगी और इसके बाद नवमी लगेगी।
3. अभिजीत मुहूर्त : 11:32 AM से 12:27 PM तक।
4. अमृत काल : 02:36 PM से 04:10 PM तक।
5. विजय मुहूर्त : 02:16 PM से 03:11 PM तक।
उत्पत्ति कथा : मां धूमावती की कथा हमें कई तरह से मिलती है। उनमें से एक यह है कि कहते हैं कि एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। कुछ नहीं मिलने पर उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की। शिवजी कुछ समय के लिए इंतजार करने के लिए कहते हैं। परन्तु मता पार्वती की भूख और तेज हो जाती है। अंत में भूख से व्याकुल माता भगवान शिव को ही निगल जाती है। भगवान शिव को निगलने के पश्चात माता की देह से धुंआ निकलने लगता है तब माता की भूख शांत होती है। इसके बाद भगवान शिवजी अपनी माया के द्वारा पेट से बाहर आते हैं और माता से कहते हैं कि धूम से व्याप्त देह होने के कारण आपके इस स्वरूप का नाम धूमावती होगा।
यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि ‘मुझे बाहर निकालो’, तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया।।।निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि ‘आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी’।।।।
जैसे ही माता पार्वती भगवान शिव को निगल लेती हैं उनका स्वरूप एक विधवा जैसा हो जाता है। उसके बाद भगवान शिव के गले में मौजूद विष के असर से देवी पार्वती का पूरा शरीर धुंआ जैसा हो गया। उनकी पूरी काया श्रृंगार विहीन हो गई। तब शिवजी ने अपनी माया से पार्वती को कहते हैं कि आप मुझे निगलने के कारण विधवा हो गई है। जिस कारण से आपका एक नाम धूमावती भी होगा।
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