हिंदू धर्म के व्रतों में मां भद्रकाली व्रत का खास महत्त्व है. पंचांग के मुताबिक़ ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मां भद्रकाली का प्राकट्य हुआ था. मान्यता है कि इस एकादशी तिथि को भगवान शिव के बालों से मां भद्रकाली प्रकट हुई थी. इस लिए इसे भद्रकाली एकादशी कहते हैं. मां भद्रकाली के प्रकट होने का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी से राक्षसों का संहार करना था.

धर्म ग्रंथों में भद्रकाली एकादशी अर्थात ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी, अचला एकादशी एवं जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से जाना जाता है. वैसे तो एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. परन्तु इस एकादशी के दिन मां भद्रकाली का भी व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से भक्त को जाने –अनजाने में किये गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस व्रत के असर से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है. घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती. घर परिवार में सुख शांति एवं समृद्धि होती है.
अपरा एकादशी 2021
हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भद्रकाली एकादशी या अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनुष्य को अपार पुण्य मिलता है, इसीलिए इसे अपरा एकादशी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि अपरा /अचला एकादशी के दिन पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में मान-सम्मान, धन, वैभव और अरोग्य की प्राप्ति होती है.
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