इंजीनियरिंग एवं मेडिकल, इन दोनों ही सेक्टरों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को मुश्किल प्रतियोगी परीक्षा देनी होती है. कुछ विद्यार्थी तो इसके लिए कई वर्षों तक तैयारी करते हैं. आज-कल कई ऐसी कोचिंग क्लासेस हैं, जो कक्षा 6 से ही बच्चों को इन एंट्रेंस एग्जाम के लिए तैयार करने लग जाती हैं. वही इसमें कोई शंका नहीं है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बिल्कुल भी सरल नहीं है. मगर बच्चों को 6वीं, 7वीं या 8वीं से उनकी तैयारी कराने से उनके विकास पर फर्क पड़ सकता है. कम आयु से ही वे प्रेशर में रहने लगेंगे. जानिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने की सही आयु.
कक्षा 9वीं से होगी सही शुरुआत:-
कक्षा 9वीं के विद्यार्थी अपने करियर को लेकर थोड़े फोकस्ड होते हैं. 6वीं, 7वीं या 8वीं की तुलना में वे प्रतियोगी परीक्षाओं को अधिक गंभीरता से समझेंगे. इसलिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी इस कक्षा से बेहतर रहेगी.
* कक्षा 9वीं से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के आरम्भ करने से सभी विषयों के बेसिक्स सरलता से क्लियर हो जाते हैं. मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में इन्हें ही विस्तार से पढ़ाया जाता है.
* सभी विषयों पर अपनी अच्छी पकड़ के लिए कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों के पास बहुत वक़्त होता है.
* मुश्किल सवालों की प्रैक्टिस, टाइम मैनेजमेंट की समझ तथा परीक्षा में होने वाली सामान्य गलतियों को सुधारने के लिए भी बहुत वक़्त मिल जाता है.
11वीं में भी शुरू कर सकते हैं तैयारी:-
यदि आप किसी भी कारण 9वीं कक्षा से तैयारी आरम्भ नहीं कर पाए थे तो 11वीं कक्षा में भी बेहद देर नहीं हुई है.
* अपनी पुस्तकों को लेकर अधिक असमंजस न रहें. NCERT की पुस्तकों को अच्छी प्रकार से पढ़ें. किसी भी विषय के लिए 1 या 2 से अधिक रेफरेंस बुक्स न रखें.
* बीते वर्षों के प्रश्न-पत्रों को अच्छी प्रकार से हल करें. इससे बहुत सहायता पर्पट होगी.
* जब भी वक़्त मिले, पहले पढ़े हुए टॉपिक्स को अच्छी प्रकार रिवाइज करते रहें.
* जिस विषय में भी कमजोर हों, उस पर एक्सट्रा टाइम दें तथा उसके नोट्स अच्छी प्रकार से तैयार करें.
* सभी आवश्यक फॉर्मूलों एवं पॉइंट्स के नोट्स बनाएं जिससे उन्हें भूलने पर रिवाइज करना सरल रहे.
* परीक्षा की भांति प्रैक्टिस पेपर्स, सैंपल पेपर्स, मॉक टेस्ट की प्रैक्टिस करते रहें.