मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन गेम की चकाचौंध के बीच कहीं खो गए हमारे बचपन के खेल लट्टू, कंचे, गुलेल, रस्सी कूद और खो-खो… अब एक बार फिर मैदान में लौटने जा रहे हैं। अमर उजाला 15 नवंबर को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक केडी सिंह बाबू स्टेडियम में ‘भूले-बिसरे खेलों’ के महाकुंभ का आयोजन करने जा रहा है। इसमें 10 से अधिक तरह के खेल होंगे।
आयोजन में अखिल भारतीय स्वदेशी खेल एसोसिएशन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ऑयल और सेंट जोसेफ स्कूल प्रबंधन सहयोगी हैं। आयोजन की प्रतियोगिताओं में प्रवेश निशुल्क है। खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले स्कूलों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अखिल भारतीय स्वदेशी खेल एसोसिएशन के सहयोग से प्रतियोगिताओं के लिए बच्चों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है।
यह आयोजन न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि बड़ों के लिए भी पुरानी यादों को ताजा करने का सुनहरा मौका बनेगा। बचपन में खेले गए खेलों को एक बार फिर देखना, शायद खुद को फिर से बच्चा महसूस करने जैसा होगा। तो आइए, एक दिन के लिए छोड़िए जिंदगी की रफ्तार और खो जाइए उन खेलों की दुनिया में, जहां जीत से ज्यादा मायने रखती थी मुस्कान।
खेल जो लौटाएंगे बचपन की यादें
रस्सी कूद, सिकड़ी, स्लो साइकलिंग, कैरम, शतरंज, रुमाल झपट्टा, पंजा कुश्ती, खो-खो, रस्साकशी, कबड्डी।
विशेष प्रदर्शन
लट्टू, कंचा, देसी तीरंदाजी, गुलेल, गुट्टक, पतंगबाजी, कलारीपयट्टू, योग, मुग्दर और मलखंब।
जीतने पर मिलेगा सम्मान
हर विजेता को मेडल और प्रशस्ति पत्र मिलेगा।
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