पूर्वी साइबेरिया में बसा ‘मिरनी माइन’ दुनिया की सबसे बड़ी हीरे की खदान है और इस खदान से बेहिसाब हीरे भी निकलते हैं. साथ ही यह खदान 1722 फीट गहरी और 3900 फीट चौड़ी बनी हुई है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित गड्ढा भी मना जाता है.

इस खदान को 13 जून, 1955 को सोवियत भूवैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा खोजा गया था और इसे खोजने वाले दल में यूरी खबरदिन, एकातेरिना एलाबीना और विक्टर एवदीनको शामिल है. वहीं इसे खोजने के लिए सोवियत भूविज्ञानी यूवी खबरदीन को साल 1957 में लेनिन पुरस्कार दिया गया था.
दरअसल, आपको जानकारी के लिए बता दें कि इस खदान के विकास का कार्य 1957 में शुरू किया गया था और यहां साल के ज्यादातर महीनों में मौसम बेहद खराब रहता है. वाहन सर्दियों में यहां तापमान इतना गिर जाता है कि गाड़ियों में तेल भी जम जाता है और टायर भी फट जाते हैं और इसे खोदने के लिए कर्मचारियों ने जेट इंजन और डायनामाइट्स का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही रात के समय इसे ढक दिया जाता था, ताकि मशीनें खराब ना हो जाएं. ख़ास बात यह है कि इस खदान की खोज के बाद रूस हीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था और पहले इस खदान से हर साल 10 मिलियन यानी एक करोड़ कैरेट हीरा यहां से निकाला जाता था.
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