हस्तरेखा शास्त्र में हृदय रेखा को भावनाओं के समझने के लिए देखा जाता है। जी हाँ और पाश्चात्य विद्वान हृदय रेखा को देखकर आयु का निर्धारण भी करते हैं। आप सभी को बता दें कि व्यक्ति के हाथ में हृदय रेखा तर्जनी अथवा मध्यमा उंगली से शुरू होकर बुध पर्वत तक पहुंचती है। ऐसे में यह भी कहा जाता है कि हृदय रेखा का बीच में से टूटना शुभ नहीं है। अब आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
-हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार अगर व्यक्ति के हाथ में हृदय रेखा एक कोने से शुरू होकर दूसरे कोने तक जाए तो ऐसा व्यक्ति वर्तमान में जीता है। इसी के साथ वह ना तो भूत को लेकर परेशान होता है और ना ही भविष्य को लेकर अधिक चिंतित। केवल यही नहीं बल्कि ऐसे लोग सपनों की दुनिया से कोसों दूर होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का स्वभाव भावुक प्रवृत्ति का होता है।
– कहा जाता है अगर हृदय रेखा का रंग लाल और अधिक गहरा होता है तो ऐसे लोग स्वभाव से थोड़ा तेज प्रवृत्ति के हो सकते हैं। इस तरह के लोगों में कोई बुरी आदत भी पाई जाती है।
– कहा जाता है हाथ में एक ही हृदय रेखा होती है, हालाँकि विशेष स्थितियों में बहुत कम हाथों में दो हृदय रेखा मिल जाती हैं। वहीं ऐसी स्थिति में दोषरहित हृदय रेखा होने पर व्यक्ति सात्विक बुद्धि का होता है।
– आपको बता दें कि हस्तरेखा विज्ञान में हस्तरेखा का बीच में टूटना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति प्रेम संबंधों में बिखराव का कारण बनती है।
– अगर व्यक्ति के हाथ में हृदय और मस्तिष्क रेखा दोनों एकसाथ शुरू होकर हथेली में दूसरे छोर तक जाएं तो ऐसा व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करता। जी हाँ और ऐसे लोग स्वभाव से मनमौजी किस्म के होते हैं। इसके अलावा पतली हृदय रेखा व्यक्ति के स्वभाव में रुखापन लाती है।
– कहा जाता है अगर हृदय रेखा गुरु पर्वत से शुरू होती है तो ऐसे लोग दृढ़ निश्चयी और आदर्शवादी होते हैं। जी हाँ और इसके उलट तर्जनी के मूल से शुरू हुई हृदय रेखा व्यक्ति को मानसिक परेशानियां देती है।