- अधिक वजन और मोटापे के कारण गर्भधारण में आती है समस्या।
- एनीमिया, थैलीसीमिया, ब्लड, शुगर जैसे जरूरी टेस्ट कराने हैं जरूरी।
- गर्भावस्था के अन्तिम एक महीने में सेक्स से दूर रहना चाहिए।
- गर्भधारण के दौरान धुम्रपान करना या शराब पीना है हानीकारक।
गर्भधारण के पूर्व शारीरिक कार्यो व खानपान एवं डाइट प्लान से जुड़ी कुछ बातें आपको जाननी चाहिए। ताकि एक तंदुरुस्त बच्चे को जन्म दे सकें। कुल मिलाकर महत्वपूर्ण बात यह है कि आप स्वस्थ रूप से गर्भधारण कर सकें, अगर आप पहली बार गर्भधारण कर रही हैं तो इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि आप स्त्री रोग विशेषज्ञ से नियमित सलाह लें ताकि आप किसी भी असामान्य परिस्थिति से बच सकें और आपको बच्चे को जन्म देते समय किसी प्रकार की परेशानी ना आये।
संतुलित आहार सूची-
गर्भावस्था के समय किस प्रकार का आहार लें इस संबंध में विशेषज्ञ की सलाह पर ही अधिक भरोसा कीजिए। आमतौर पर डाइट प्लान की योजना बॉडी मास इन्डेक्स पर आधारित होती है आहार सूची का पालन करना आपके गर्भधारण को सहज बनाता है।
इन्स्टिटूट ऑफ मेडिसन (IOM) के अनुसार अधिक वजन और मोटापे के कारण मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के उच्च दर के जोखिम आमतौर पर परिणाम के रूप में सामने आते है। गर्भधारण के दौरान आपको यह सलाह दी जाती है कि एक दिन में आपको कम से कम 300 केलोरी से ज्यादा लेना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि यह आहार दो लोगो के लिए लिया जा रहा है।
डा. इंदू बाला खत्री बताती हैं कि ‘पहली बार प्रेग्नेंट होने से पहले एनीमिया, थैलीसीमिया, ब्लड, शुगर जैसे जरूरी टेस्ट करा लीजिए। पहली प्रेग्नेंसी के लिए 20 से ज्यादा उम्र होनी चाहिए।
पहली बार गर्भधारण के लिए ध्यान रखने योग्य बातें-
- गर्भधारण के दौरान निर्धारित कैलोरी और पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है। जैसे- अनाज, सब्जि़यां, फल, बिना चर्बी का मीट, कम वसा युक्त दूध।
- ऐसी स्थिति में औरतों को ज्यादा मात्रा में फालिक एसिड, आयरन, कैल्सियम, विटामिन ए एवं बी-12 की जरूरत होती है।
- आपको अपने आहार डाइट के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
- साथ ही साथ गर्भधारण के दौरान आपके डाइट में आपके शरीर में पानी की खपत एवं उसके बहुआयामी उपयोगों जैसे टाक्सिंस एवं शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण रखा गया है।
शारीरिक कार्य-
- गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार की शारीरिक जोखिम भरे कार्यों से बचना चाहिए।
- सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के शारीरिक व्यायाम या भारी बोझ उठाने से बचना चाहिए।
- खैर भारी कामों को छोड़ कर आप कुछ आम शारीरिक कार्य कर सकती हैं।
- अपने रोजमर्रा की शारीरिक गतिविधियों के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन के अनुसार आमतौर पर महिलाओं को गर्भवती होने का पता चलने पर शुरू के दो महीने तक सेक्स करने से बचना चाहिए और गर्भावस्था के अन्तिम एक महीने में भी सेक्स से दूर रहना चाहिए।
धुम्रपान एवं शराब का प्रभाव-
डा. सुषमा दिक्षित (स्त्री रोग विशेषज्ञ, पुष्पांजलि क्रॉसले हास्पिटल) ने कहा कि ‘पहली बार गर्भधारण करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ तैयार होने के बाद ही शिशु के बारे में सोचें और जरूरी चेकअप अवश्य करा लें।’
गर्भधारण के दौरान धुम्रपान करना या शराब पीना आपके होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है इससे आपका बच्चा कमजोर पैदा हो सकता है। धुम्रपान एवं शराब की आदत गर्भपात की संभावना को भी बढ़ा देती है। इसी तरह शराब पीने वाली महिलाओं के लिए भ्रूण संबंधी अनियमित लक्षणों का विकास होता है।
नियमित डॉक्टरी जांच-
डा. सुषमा दिक्षित (स्त्री रोग विशेषज्ञ, पुष्पांजलि क्रॉसले हास्पिटल) ने बताया कि ‘अगर बार मां बनने जा रही हैं तो ब्लड टेस्ट अवश्य करा लें, क्योंकि अगर मां के खून में आरएच फैक्टर निगेटिव है और पिता का आरएच फैक्टर पॉजिटिव है तो ऐसे में बच्चे को गर्भ में ही पीलिया होने की संभावना ज्यादा होती है।’
गर्भधारण के नौ महिनों के दौरान महिलाएं बहुत तरह के बदलाव का अनुभव करती हैं। कुछ प्रमुख बदलाव जैसे योनि में खून आना, सुजन, सिरदर्द, गांठ, शरीर के तापमान का बढ़ना, उल्टी एवं अन्य समस्याएं, अगर यह समस्याएं लम्बे समय तक हो तो गाइनीकोलाजिस्ट को चेक करवाएं।