New Delhi : चाय बनाने वाले से प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में अब एक ऐसा चेहरा शामिल होने जा रहा है जिसने बचपन में पिता के साथ साइकिल के पंक्चर तक बनाए थे।यूपी में बंपर नौकरी: 17 विभागों में 1.68 लाख से ज्यादा पद खाली, जल्द करें आवेदन
सागर के पूर्व और टीकमगढ़ के मौजूदा सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार अपनी सादगी और सीधेपन के लिए जाने जाते हैं। बजाज के पुराने हरे रंग के स्कूटर पर सफेद कुर्ता पजामे पर वे शहर की गलियाें में यूं ही घूमते देखे जाते रहे हैं। अब उनका लोगाें से संपर्क का यही सिलसिला टीकमगढ़ में जारी है।
वीरेंद्र कुमार का जन्म 27 फरवरी 1954 में सागर में हुआ था। उनकी पत्नी कमल खटीक गृहिणी हैं। उनका एक बेटा और बेटी है। वे संघ, अभाविप, विहिप और भाजपा में विभिन्न पदों पर रहे।
सागर संसदीय सीट से 1996 में 11वीं लोकसभा का चुनाव उन्होंने पहली बार जीता था। उसके बाद 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में सागर से प्रतिनिधित्व किया। लोकसभा सीट के नए परिसीमन के बाद टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर भी जीत का सिलसिला जारी रहा। अब 15 वीं और 16 वीं लोकसभा में वे इसी सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे सागर के कलेक्ट्रेट परिसर में उन्होंने जनता दरबार की शुरुआत की और इसी से उन्हें प्रसिद्धि मिली। प्रदेश के वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार उनके जीजा हैं।
पढ़ाई के दौरान भी बनाए पंचर: वीरेन्द्र खटीक ने 5वीं से लेकर सागर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने साइकिल रिपेयरिंग का काम किया।
वे बताते है कि दुकान पर शुरुआत में वो लापरवाही से काम करते थे। कई बार दुकान में पंचर सुधारने के दौरान पिता की डांट भी खानी पड़ती थी। पंचर सुधारने के काम को में ध्यान से नहीं करता था तो पिताजी उन्हें अच्छी तरह से पंचर बनाना सिखाते थे।
धीरे-धीरे पंचर बनाने से लेकर रिपेयरिंग के सारे काम उन्हें आने लगे तो फिर उन्होंने दुकान की जिम्मेदारी संभाल ली थी। पंक्चर सुधारने से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक का उनका सफर राजनीति में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।
स्कूटर है पहचान: वीरेन्द्र खटीक की एक और पहचान है। वह है उनका सालों पुराना स्कूटर। वीरेन्द्र खटीक जब सागर सांसद थे तो अपने पुराने स्कूटर से घूमा करते थे। उनकी यही सादगी उनकी पहचान बन गयी है। वे सागर सांसद रहे हो या फिर मौजूदा टीकमगढ सांसद उनका स्कूटर उनके साथ रहता है। कई कार्यक्रमों में स्कूटर से ही पहुंचते हैं, जबकि कार का इस्तेमाल दूर जाने के लिए ही करते हैं।
63 साल के वीरेंद्र कुमार छठी बार बने हैं सांसद, जेपी आंदोलन के दौरान 16 महीने काटी थी जेल: वीरेंद्र कुमार टीकमगढ़ से छठी बार सांसद चुने गए हैं। अभी संसद की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य हैं। जेपी आंदोलन के दौरान 16 महीने जेल काट चुके हैं। दलित समुदाय से आते हैं। अर्थशास्त्र में एमए और चाइल्ड लेबर में पीएचडी की है।
जीवन से जुड़े घटनाक्रम: बीना में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान हुए लाठीचार्ज में घायल हुए थे। इनके जनता दरबार में एक बुजुर्ग ने आत्मदाह कर लिया था।