चायवाले से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने ओ पन्नीरसेल्वम ने तीसरी बार सीएम पद से इस्तीफा देकर ये साबित कर दिया है कि वे ‘कठपुतली सीएम’ से ज्यादा कुछ नहीं हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने ‘निजी कारणों’ का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दिया और वीके शशिकला को सत्ता सौंपने का मंच तैयार कर दिया. इससे पहले रविवार को ही शशिकला को अन्ना द्रमुक विधायक दल का नेता चुना गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को लिखे पत्र में पनीरसेल्वम ने कहा कि निजी कारणों से, मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं. कृपया मेरे इस्तीफा स्वीकार करें और छह दिसंबर 2016 को मेरे द्वारा नियुक्त तमिलनाडु के मंत्रिपरिषद को कार्य मुक्त किया जाए.
तमिलनाडु की दिवंगत सीएम जयललिता के प्रति अपनी वफादारी और विश्वसनीयता के लिए पहचान बनाने वाले पन्नीरसेल्वम से इस बार पद छोड़ने की उम्मीद नहीं की जा रही थी. लेकिन एक बार फिर सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद पन्नीरसेल्वम ने खुद की महज ‘कठपुतली सीएम’ की छवि को बरकरार रखा है.
जयललिता के सबसे खास और भरोसेमंद रहे पन्नीरसेल्वम ने 2001 में पहली बार सीएम पद संभाला था. बता दें कि 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता के सीएम बने रहने पर रोक लगा दी थी. छह महीने बाद ही पन्नीरसेल्वम ने सीएम पद जयललिता के लिए छोड़ दिया था.
2014 में एक बार फिर आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता के दोषी पाए जाने पर पन्नीरसेल्वम ने अम्मा की तस्वीर के साथ सीएम पद संभाला था. सात महीने बाद ही पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया और जयललिता फिर से सीएम बन गईं.
जयललिता के निधन के बाद इस बार पन्नीरसेल्वम सिर्फ एक महीने के लिए मुख्यमंत्री बने. दरअसल, इस बार उम्मीद की जा रही थी कि पन्नीरसेल्वम सीएम का पद नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि इससे पहले दो बार उन्होंने अम्मा के कहने पर ही पद संभाला था और त्याग भी दिया था.
इस बार अम्मा के जाने के बाद लग रहा था कि वे मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे, लेकिन इस बार भी उन्होंने सबको गलत साबित कर दिया. इस बार भी पन्नीरसेल्वम ने कैबिनेट में उठ रहे विरोध के स्वरों को दबाने कीज्यादा कोशिश नहीं की और सीएम पद शशिकला के लिए छोड़ दिया.
पिछले तीन महीनों में पन्नीरसेल्वम ने विपक्ष का विश्वास तो जीत लिया, लेकिन अपनी कैबिनेट और विधायकों को खुश नहीं कर पाए. विधानसभा का सत्र भी विपक्षी डीएमके के वॉकआउट या शोर-शराबे की भेंट नहीं चढ़ गया था.
एक एमएलए ने बताया कि पन्नीरसेल्वम को बीजेपी का सपोर्ट था. पार्टी के कैडर भी उनके साथ था. यहां तक की जनता भी उनके समर्थन में थी. इन सबके बावजूद पन्नीरसेल्वम ने सीएम का पद शशिकला के लिए छोड़ दिया.
अन्नाद्रमुक की निष्कासित राज्यसभा सदस्य शशिकला पुष्पा ने पार्टी प्रमुख वीके शशिकला के तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने का विरोध किया और आरोप लगाया कि उनकी ‘आपराधिक पृष्ठभूमि’ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव की लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण शशिकला नटराजन को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनाने के लिए नामित या आमंत्रित करना निंदनीय है. सभी आपराधिक मामले लंबित हैं और (वह) निचली अदालत में दोषी ठहराई गई हैं.
पुष्पा परोक्ष रूप से दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले का जिक्र कर रही थीं, जिसमें शशिकला भी सह आरोपी हैं और बेंगलुरू की निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराया गया था.
बता दें कि पन्नीरसेल्वम को जे जयललिता के निधन के कुछ घंटे के भीतर पांच दिसंबर की रात को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था. पन्नीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यपाल राव को अलग-अलग, लेकिन लगभग एक जैसे पत्र लिखकर उनके कार्यकाल के दौरान मिले समर्थन और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान आपके द्वारा दिए समर्थन और सहयोग के लिए अपना आभार जताता हूं.
गौरतलब है कि शशिकला तमिलनाडु की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. शशिकला, जानकी रामचंद्रन और जयललिता के बाद तमिलनाडु की तीसरी महिला सीएम बनेंगी. वह मंगलवार यानि 9 फरवरी को शपथ ले सकती हैं. शशिकला विधानसभा की सदस्य नहीं है, लेकिन पिछले साल दिसंबर में जयललिता के निधन के बाद जबसे उन्हें पार्टी प्रमुख बनाया गया, तब से ऐसा बहुत हद तक माना जा चुका था कि आने वाले वक्त में वह ही सीएम पद को संभालेंगी.