हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है प्रयागराज का लालगोपालगंज कस्‍बा, कई राज्यों में है यहां की चुनरी की मांग

 नवरात्र 2022 बात नवरात्र की हो तो प्रयागराज जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर लखनऊ मार्ग पर स्थित लालगोपालगंज कस्बा जरूर चर्चा में आ जाता है। यहां हिंदू-मुस्लिम एकता का बेहतरीन नमूना नजर आता है। यहां के मुस्लिम लोग मां दुर्गा को अर्पित की जाने वाली चुनरी बनाते हैं। यहां के तीन दर्जन से अधिक मुस्लिम परिवारों की रोजी-रोटी का साधन चुनरी और कलावा है। यहां बनाई गई चुनरी मीरजापुर स्थित मां विंध्यवासिनी, मैहर स्थित शीतला माता, हिमाचल में मां ज्वालादेवी, हरियाणा में मंशा देवी और गुवाहाटी में कामाख्या देवी को चढ़ती है।

रंगीन गोटों और सितारों को लाल कपड़े में सजाकर बनाई जाती है चुनरी

नवरात्र में आस्था और विश्वास से सजाई गई पूजा की थाली में रखी चुनरी शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इस चुनरी पर किन हाथों ने रंग चढ़ाया है, इस तरफ आमतौर पर ध्यान नहीं जाता। लालगोपालगंज में लाल कपड़े को रंगीन सितारों और गोटे से सजाकर चुनरी बनाने वाले हाथ मुस्लिमों की सब्बाग बिरादरी के हैं। चुनरी व कलावा ने यहां तीन दर्जन परिवारों को रोजगार दिया है।

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तीन मोहल्लों में ब्रिटिश काल से बनती है चुनरी

जानकारी के अनुसार खानजहानपुर, अहलादगंज और इब्राहीमपुर मोहल्लों में चुनरी कलावा बनाने का काम ब्रिटिश भारत में शुरू हुआ था। कदीमी ईदगाह के पास हर सुबह सूखती चुनरी को देखकर आंखें चकाचौंध हो जाती हैं। भोर में चार बजे से रंग चढ़ाने का कार्य होता है और सूरज निकलने से पहले चुनरी सुखाने के लिए धूप में रखी जाती हैैं। परिवार के बच्चों के अलावा महिलाएं भी हाथ बंटाती हैं।

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महाराष्ट्र से आता है कच्चा सूत और कपड़ा

चुनरी व्यापारी निसारउल्ला बताते हैैं कि इस बार चैत्र नवरात्र के 15 दिन पहले से ही चुनरी और गोटा तथा नारियल चुनरी की मांग बढ़ गई है। बाजार में तेजी है। मो इरशाद, शकील, शाहिद ने बताया कि मुंबई के भिवंडी और मालेगांव स्थित पावरलूम का वेस्टेज लाया जाता है। धुलाई और प्रोसेसिंग के बाद रंगरोगन होता है। खानजहानपुर निवासी सरफराज अहमद बताते हैं कि यह हमारा पुश्तैनी काम हैं। हमारी बिरादरी के कुछ लोग बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे।

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21 से 700 रुपये तक की चुनरी है उपलब्‍ध

लालगोपालगंज में 21 से लेकर 700 रुपये तक कीमती चुनरी बनाई जाती है। चुनरी में कारचोब (डिजाइन) का काम अधिक होने, कपड़े की क्वालिटी और साइज बढऩे पर दाम बढ़ता है। शकील अहमद के अनुसार दूसरे प्रदेशों के व्यापारी नवरात्र के लिए छह माह पहले से आर्डर दे देते हैं। कारोबार सालाना करीब एक करोड़ का है।

कौन है चुनरी बनाने वाले सब्बाग बिरादरी के लोग

सब्बाग अरबी शब्द है। इसका अर्थ है रंगने वाला। मुस्लिम समुदाय में बुनकर को अंसारी, रूई गूंथने वाले को मंसूरी कहते हैैं और रंग रंगने वाले को रंगरेज के साथ अलावा सब्बाग भी।

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