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– मीटिंग के बाद जोशी ने कहा, ”जेएनयू की घटना इस देश के लिए चिंता का विषय है।”
– ”विश्वविद्यालय के परिसर में संसद पर हमला करने वाले व्यक्ति का सपोर्ट किया जा रहा है, इसे क्या मानें?
– ”देश के टुकड़े करने का नारा लगाने वाले समूह के नेतृत्व करने वालों को क्या कहेंगे?”
– ”कानून अपना काम करेगा, सोचना ये चाहिए इस प्रकार के वातावरण को पनपने किसने दिया, पोषण किसने दिया? ये राजनीति का विषय नहीं है।”
– ”विश्वविद्यालय के परिसर में संसद पर हमला करने वाले व्यक्ति का सपोर्ट किया जा रहा है, इसे क्या मानें?
– ”देश के टुकड़े करने का नारा लगाने वाले समूह के नेतृत्व करने वालों को क्या कहेंगे?”
– ”कानून अपना काम करेगा, सोचना ये चाहिए इस प्रकार के वातावरण को पनपने किसने दिया, पोषण किसने दिया? ये राजनीति का विषय नहीं है।”
तीन बार बदल चुकी है ड्रेस
– संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा, ”संघ में गणवेश (ड्रेस) के बदलाव को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी।”
– ”2010 में बैठक के दौरान ड्रेस में बदलाव को लेकर प्रस्ताव आया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।”
– ”इसी कारण इस पर पांच साल तक चर्चा करने का फैसला किया गया। मार्च, 2015 में फिर यही प्रपोजल आया।”
– मनमोहन वैद्य ने बताया कि इससे पहले 3 बार ड्रेस में बदलाव हो चुका है।
– पहले संघ की ड्रेस में पैंट शामिल था, बाद में इसकी जगह निकर शामिल किया गया।
– सबसे पहला बदलाव 1939 में हुआ था, उस समय खाकी शर्ट का रंग सफेद किया गया।
– 2010 में चमड़े की जगह कैनवस बेल्ट ने ली।
– संघ के 90 साल के इतिहास में सिर्फ टोपी आज तक नहीं बदली है।
– पहले संघ की ड्रेस में पैंट शामिल था, बाद में इसकी जगह निकर शामिल किया गया।
– सबसे पहला बदलाव 1939 में हुआ था, उस समय खाकी शर्ट का रंग सफेद किया गया।
– 2010 में चमड़े की जगह कैनवस बेल्ट ने ली।
– संघ के 90 साल के इतिहास में सिर्फ टोपी आज तक नहीं बदली है।