हर तरफ ‘गणपति बप्पा मोरया’ की गूंज, पीएम मोदी ने दीं गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने इस पावन अवसर पर सभी के कल्याण और समृद्धि की कामना की। पीएम मोदी ने लिखा, ‘आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं। भक्ति और आस्था से भरा यह पावन अवसर सभी के लिए मंगलमय हो। मैं भगवान गजानन से प्रार्थना करता हूं कि वे अपने सभी भक्तों को सुख, शांति और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें। गणपति बप्पा मोरया!’

विनायक चतुर्थी को विनायक चविथी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो नई शुरुआत का प्रतीक है। यह शुभ काम से पहले पूजे जाने वाले विघ्नहर्ता भगवान गणेश की वंदना का प्रतीक है। देश-विदेश में भक्त सजे-धजे घरों और पंडालों, प्रार्थनाओं, संगीत और जीवंत जुलूसों के साथ उनकी बुद्धि और बुद्धिमत्ता का जश्न मनाते हैं।

इससे पहले गणेश चतुर्थी के अवसर पर पूजा-अर्चना करने के लिए मुंबई के श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस उत्सव के लिए लोग भगवान गणेश की मूर्तियां अपने घरों में लाते हैं। उपवास रखते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। इस त्योहार के दौरान पंडाल सजाए जाते हैं। देश भर में मनाए जाने वाले इस त्योहार में लाखों भक्त भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों और मंडलों में एकत्रित होते हैं।

मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा का पहला लुक रविवार को जारी किया गया। बेजोड़ कलात्मकता से निर्मित लालबागचा राजा सिर्फ एक प्रतिमा नहीं हैं, यह उससे कहीं अधिक हैं। यह सामूहिक आस्था, कलात्मक निपुणता और मुंबई की जीवंत भावना का प्रतीक है। हर साल लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। लालबागचा राजा, प्रतिष्ठित गणेश मूर्ति का अनावरण, इस त्योहार का एक और मुख्य आकर्षण है। लालबागचा राजा का इतिहास काफी प्रसिद्ध है। यह 1934 में स्थापित पूजा स्थल, पुतलाबाई चॉल में स्थित लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की लोकप्रिय गणेश प्रतिमा है। लालबागचा राजा गणपति की मूर्ति की देखभाल कांबली परिवार आठ दशकों से भी अधिक समय से कर रहा है।

इससे पहले जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को ‘महाराष्ट्र राज्य उत्सव’ घोषित किया था। यह घोषणा सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने विधानसभा में की थी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा 1893 में लोकमान्य तिलक की ओर से शुरू की गई थी।

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