राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के तहत राशन की डोर स्टेप डिलीवरी को लेकर अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को समीक्षा बैठक बुलाई। कई घंटों तक चली बैठक के बाद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली में 25 मार्च से एक क्रांतिकारी योजना शुरू होने जा रही थी- मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना। पहले लोगों को दुकानों से राशन मिलता था जिसमें उन्हें लंबी कतारों में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता था जिसके कारण उन्हें कई तरह की समस्या होती थी। हमने इन सब का समाधान निकाला और घर तक राशन पहुंचाने की योजना बनाई थी।
केजरीवाल ने बताया कि केंद्र ने हमें पत्र लिखा कि हम इसे लागू नहीं कर सकते। पत्र में लिखा है कि इस योजना को मुख्यमंत्री योजना नहीं कहा जा सकता। मैंने आज मंत्रालयों के साथ बैठक की और उनसे कहा कि वे योजना का नाम हटा दें। हम योजना को नाम दिए बिना सिर्फ लोगों के दरवाजे तक राशन पहुंचाएंगे।
मालूम हो कि केजरीवाल सरकार की यह योजना 25 मार्च को लॉन्च होनी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2021 को लोकसभा में पेश करने के बाद घर-घर राशन योजना पर रोक लगा दी थी।
दिल्ली सरकार को भेजे पत्र में केंद्र ने योजना शुरू करने पर मनाही कर दी थी। इसके लिए केंद्र ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम का हवाला दिया था। इससे 25 मार्च को लॉन्च होने जा रही योजना अधर में लटक गई है। उधर, योजना रोके जाने के बाद से आम आदमी पार्टी नए सिरे से केंद्र सरकार पर हमलावर है। पार्टी ने इसे केंद्र सरकार और राशन माफिया की मिलीभगत का नतीजा करार दिया है।
केंद्र सरकार की तरफ से शुक्रवार को दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति सचिव को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सस्ती दरों पर राशन देता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत इसका वितरण होता है। इसके लिए बाकायदा नियम और कानून बने हैं। कोई राज्य इसमें बदलाव नहीं कर सकता। योजना का नाम नहीं बदला जा सकता।
वहीं, राशन की प्रोसेसिंग नहीं हो सकती। इसके साथ इस योजना के सहारे कोई दूसरी योजना लाना भी राज्यों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जबकि मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना अधिनियम के कई प्रावधानों को तोड़ती है। ऐसे में कानूनी बाध्यताओं को देखते हुए दिल्ली सरकार मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को रोक दे। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि अगर कोई राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम से छेड़छाड़ किए बगैर अपनी कोई योजना लेकर आती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।
दिल्ली सरकार ने योजना को लांच करने की पूरी तैयारी कर ली थी। इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया था। दिल्ली सरकार 25 मार्च से योजना शुरू करने जा रही थी। इसके तहत दिल्ली के राशन कार्ड धारकों को ऑन डिमांड उनके घर पर पैकेट बंद राशन पहुंचाया जाना था। लेकिन केंद्र सरकार की आपत्तियों के बाद योजना का भविष्य अधर में लटक गया है। इस मसले पर अभी दिल्ली सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
योजना पर रोक लगाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि 22 फरवरी को यह योजना दिल्ली सरकार ने अधिसूचित की थी। अगले तीन-चार दिन में इसे लांच करना था। दुनिया में अपनी तरह की अनूठी योजना लागू हो जाने से दलालों की दलाली खत्म हो जाती।
लेकिन केंद्र सरकार ने अब इस पर रोक लगा दी है। इस योजना को रोकने के पीछे कोई तर्क नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह गरीब विरोधी कानून वापस ले और दिल्ली सरकार की योजना को लागू होने दे।