
वेंचर डेट एवं लैंडिंग प्लेटफॉर्म इनोवेन कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के स्टार्टअप क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति लगातार कम होती जा रही है। 2018 में स्टार्टअप के सह-संस्थापकों में महिलाओं की संख्या 17 फीसदी थी, जो 2019 में घटकर 12 फीसदी रह गई है।
उधर, आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, देश के सभी राज्यों में दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक की स्थिति थोड़ी ठीक है। शेष राज्यों की हालत तो और खराब है। 57 देशों का सर्वेक्षण कर बनाए महिला उद्यमी सूचकांक-2019 में भारत 52वें स्थान पर है।
देश में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के आंकड़ों को देखें तो सबसे ज्यादा स्टार्टअप सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र क्षेत्र में हैं। इनकी हिस्सेदारी 13.9 फीसदी है। इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं एवं लाइफ साइंस के स्टार्टअप का स्थान आता है। इनकी हिस्सेदारी 8.3 फीसदी है।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप की हिस्सेदारी सात फीसदी की है। वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 70 फीसदी के आसपास है। इसके बावजूद इससे जुड़े स्टार्टअप में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है।
नए स्टार्टअप में महिला उद्यमियों को संस्थानिक समर्थन (इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट) भी नहीं मिल पाता है। यहां तक कि छोटी-छोटी दिक्कतों में भी उन्हें वित्तीय समर्थन से हाथ धोना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार मान रही है कि स्टार्टअप आर्थिक विकास और नवोन्मेष संस्कृति को गति दे रहे हैं। रोजगार के अधिक अवसर पैदा कर रहे हैं। इसके बावजूद प्रत्यक्ष रूप से महिलाओं को पर्याप्त मदद अब भी नहीं मिल पा रही है।
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