सचार चर पर पूर्णात् शिवोहम्, शिवोहम्..। इस तरह का मंत्र आपने अपने जीवन में कई बार सुना होगा। दरअसल शिव ही इस सृष्टि का आधार हैं। शिव को आदि देवों में माना जाता है। इन्हें महादेव भी कहा जाता हैं वेद में इन्हें रूद्र कहा जाता है। 
ये व्यक्ति की चेतना के अंतर्यामी हैं, शिव की अर्धांगिनी को शक्ति का नाम दिया गया है। शिव के पुत्र को कार्तिकेय और श्री गणेश कहा गया है।
इनकी पुत्री अशोक सुंदरी हैं, शिव अधिकतर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं, उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।
शिव के जन्म का कोई बड़ा प्रमाण नहीं है, वे स्वयंभू हैं, सारे संसार के रचयिता हैं, शिव को ही संहारकर्ता भी कहा जाता है। शिव के सिर पर चंद्रमा और जटाओं में गंगा का वास है। समुद्र मंथन में निकले विष को जब कोई नहीं पी सका तो उन्होंने विश्व की रक्षा के लिए खुद विषपान किया था।
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