इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) समूह की प्रमुख कंपनियों की रेटिंग करने वाली क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पांच क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। ग्रांट थॉन्र्टन द्वारा की गई फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट में कंपनियों की कमजोर वित्तीय स्थिति के बावजूद उसे ऊंची रेटिंग दिए जाने के मामले में गंभीर चूक और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रेटिंग एजेंसियों की सांठ-गांठ का संदेह जताया गया है।

सेबी के निर्देश पर जांच पूरी होने तक के लिए दो रेटिंग एजेंसियों के सीईओ को पहले ही अनिवार्य अवकाश पर भेजा जा चुका है। अधिकारियों ने कहा कि सेबी अब सभी पांच रेटिंग एजेंसियों में प्रणालीगत खामियों की संभावना पर भी गौर कर रहा है। इसके अलावा पूंजी बाजार नियामक रेटिंग की प्रक्रिया के साथ जानबूझ कर छेड़छाड़ करने वाले कई लोगों की भूमिका की भी जांच कर रहा है।
ग्रांट थॉन्र्टन ने जिस अवधि के लिए फॉरेंसिक ऑडिट की है, उस अवधि में आइएलएंडएफएस समूह ने क्रिसिल लिमिटेड, केयर रेटिंग्स, इकरा, इंडिया रेटिंग्स (फिच समूह की कंपनी) और ब्रिकवर्क से रेटिंग सेवाएं ली थीं। ग्रांट थॉन्र्टन ने विशेष ऑडिट के तहत आइएलएंडएफएस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों और रेटिंग एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुए ई-मेल संवादों का भी विश्लेषण किया। ई-मेल संवादों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन अधिकारियों को समूह की घटती नकदी और लगातार कमजोर होती जा रही वित्तीय स्थिति का पता था।
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