सेना के तख्ता पलट के बाद म्यांमार में अर्थव्यवस्था का संकट गहराया

म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट के बाद से देश की अर्थव्यवस्था का संकट बेहद गहरा हो गया है। कोरोना महामारी के कारण पहले से ही डावांडोल अर्थव्यवस्था अब लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों के असर से दम तोड़ने के कगार पर है। खबरों के मुताबिक देश में आम उपभोग में गिरावट आई है। ज्यादातर कारोबार ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है।

न्यूयॉर्क स्थित रिसर्च ग्रुप फिच सोल्यूशन्स के मुताबिक तख्ता पलट के असर से म्यांमार की आर्थिक वृद्धि दर में 2 से 5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। पिछले साल महामारी के बावजूद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दी गई मंजूरियों में 37 फीसदी का इजाफा हुआ था। लेकिन मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल और तख्ता पलट के बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाई गई पाबंदियों की गहरी चोट अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंका है। म्यांमार का आर्थिक विकास काफी हद तक प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के आगे बढ़ने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर निर्भर है। अब इनमें से कई परियोजनाओं में देर होने और कुछ के रद्द हो जाने की स्थिति पैदा पैदा हो गई है।

इसके पहले पिछले दिसंबर में जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि म्यांमार की आबादी के सबसे कमजोर तबकों पर कोरोना महामारी का बहुत बुरा असर पड़ा है। इससे गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारने वाले लोगों की संख्या में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। 2018-19 में म्यांमार की 22.4 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी। विश्व बैंक ने 2020-21 में ये संख्या 27 फीसदी से ज्यादा हो जाने का अनुमान लगाया था। होटल और पर्टयन उद्योग महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हुए।

अब तख्ता पलट के कारण पिछले लगभग चार हफ्तों से निजी बैंकों में वित्तीय लेन-देन पूरी तरह ठहरा हुआ है। कई बड़े प्राइवेट बैंकों की शाखाएं पूरी तरह बंद पड़ी हुई हैं। सरकारी बैंकों को भी नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए बैंकों ने नकदी निकालने की सीमा लगा दी है। कई जगहों पर एटीएम मशीनों के बाहर लंबी कतारें लगी देखी गई हैं। बैंकिंग गतिविधियों में रुकावट का असर दूसरे कारोबारों पर भी पड़ा है। नकदी की कमी के कारण भुगतान की पूरी व्यवस्था बाधित हो गई है।

सैनिक शासकों ने पूरे देश में रात आठ बजे से सुबह चार बजे तक कर्फ्यू लगा रखा है। इससे बाजारों को जल्द बंद करना पड़ता है। लोग भी अपने घर लौटने की जल्दी में होते हैँ। इस कारण शाम को बाजारों में होने वाली खरीद-बिक्री बहुत घट गई है।

इंटरनेट पर लगाई गई रोक का असर भी कारोबार और आम ट्रांजेक्शन पर पड़ा है। डेटारिपोर्टल नाम की एजेंसी के मुताबिक म्यांमार में दो करोड़ 23 लाख इंटरनेट यूजर हैं। जनवरी 2021 तक देश की 43.3 फीसदी आबादी तक इंटरनेट का कवरेज था। इसलिए कई छोटे कारोबार भी अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे। लेकिन सैनिक शासकों ने ऐसी तमाम गतिविधियों को फिलहाल असंभव बना दिया है।

हांगकांग की वेबसाइट एशिया टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट एक कारोबारी को यह कहते बताया कि अब मोबाइल मनी ट्रांसफर आसान नहीं रहा है। उसने कहा- ‘ऐसा लगता है कि सैनिक शासक लोगों को समृद्ध होते नहीं देखना चाहते।’ रिपोर्टों के मुताबिक किसान भी खेतों में काम छोड़ कर विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं। इसका असर कृषि पैदावार पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि आज जो हालात म्यांमार में हैं, उनसे यहां की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक क्षति होगी। उसके असर से उबरना लंबे समय तक संभव नहीं हो पाएगा।

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