सूर्योपनिषद के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि और उसका पालन सूर्य ही करते हैं. सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं. इस कारण वैदिक काल से ही सूर्योपासना का प्रचलन रहा है. रविवार का दिन सूर्य देवता की पूजा का वार है. जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है. रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं.
सूर्य भगवान का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है. सूर्य भगवान को प्रसन्न करने से व्यक्ति अनेक समस्याओं से बाहर आ सकता है. अनेक पुराणों में यह आख्यान भी मिलता है कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठ रोग ग्रस्त श्री कृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति पायी थी. ऐसे में मान्यता है कि सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. दरिद्रता व अन्य नकारात्मकता समाप्त हो जाती है. सूर्य आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अत्यधिक चमत्कारी व प्रभावशाली है. शत्रुदमन, रोग शमन और भय से मुक्त करता है.
1. प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण कर परमात्मा का स्मरण करें
2. एक समय भोजन करें
3. भोजन इत्यादि सूर्य प्रकाश रहते ही करें
4. अंत में कथा सुनें
5. इस दिन नमकीन तेल युक्त भोजन ना करें
इस दिन उपासक को तेल से निर्मित नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. सूर्य अस्त होने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए.