एजेंसी/ नई दिल्ली : भारतीय पहलवान सुशील कुमार ने भले ही रियो के दंगल में पीएम मोदी सहित खेल मंत्रालय को घसीटा हो, लेकिन उनका ये दांव अब बेअसर दिखाई पड़ रहा है. रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस बात को साफ कर दिया है कि वे परंपरा के मुताबिक ही टीम को भेजेंगे. यानी मामला साफ है. अब तक का ट्रेडिशन यही कहता है कि जिसने कोटा लिया है, वही उसका पहला हकदार है.
नरसिंह ने 74kg में लास वेगास में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में देश को ओलिंपिक कोटा दिलाया था. दरअसल, नरसिंह पहले ही रियो ओलिपिंक के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं. जब क्वालिफाइंग चैम्पियनशिप हुई थी, तब सुशील कुमार बीमार थे. जो कि अब वे फिट हो चुके हैं. सुशील का कहना है कि उनका पिछला प्रदर्शन के लिए उन्हें ही ओलिंपिक के लिए चुना जाना चाहिए. वहीं, नरसिंह का कहना है कि वे भी सुशील से कम नहीं हैं. उन्होंने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया है. लिहाजा, पहला हक उन्हीं का है.
इस मामले पर फेडरेशन के प्रेसिडेंट और सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया से बात अक्र्ते हुए कहा अब मामला हमारे हाथ में नहीं है. हम परंपरा के मुताबिक ही चलेंगे. सुशील अच्छे पहलवान हैं लेकिन जिस तरह का बर्ताव वे कर रहे हैं वो सही नहीं है. उन्होंने खेल मंत्रालय द्वारा इस मामले में दखल देने से इंकार करने के बाद ही पीएमओ और गृह मंत्रालय में को लेटर लिखा है.
सिंह ने कहा- अगर कोटा हासिल करने वाला पहलवान अनफिट होता तो इस बारे में सोचा जा सकता था. नरसिंह फिट हैं और उन्होंने खुद को साबित भी किया है. लास वेगास में कड़ा मुकाबला था, लेकिन वे जीते. इसे में अगर हम सुशील के ट्रायल कराते हैं तो नरसिंह के साथ नाइंसाफी होगी. बाकी पहलवान भी ट्रायल के लिए कहेंगे.
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