सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में रामलला विराजमान के पक्ष में निर्णय सुनाया, समूची अयोध्या राममय हो उठी। संत-धर्माचार्यों ने मंत्र का उच्चारण कर आराध्य को याद किया। जो जहां था वहीं से रामजन्मभूमि की ओर शीश झुकाता दिखा। निर्मोही अखाड़े को अपना दावा खारिज होने के बाद भी जहां राममंदिर बनने का रास्ता साफ होेने की खुशी थी, तो मुस्लिम पक्षकार भी फैसले का स्वागत करते नजर आए।
सबके स्वर में एक ही संकल्प और उम्मीद तारी थी कि अब यहां रामराज्य जैसा स्वरूप साकार करने में सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी। सभी में इस बात की ज्यादा प्रसन्नता थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या को लेकर भविष्य की सारी राजनीति का भी अंत कर दिया। जीत हुई तो सिर्फ रामलला की। रामनगरी अयोध्या और इससे सटे नवाबी शहर फैजाबाद में शनिवार सुबह तमाम अनहोनी व आशंकाओं से भरी थी।
सुप्रीम कोर्ट से आने वाले निर्णय को लेकर लोग रात में चैन से सो नहीं पाए थे। किसी को अपने घर में राशन की चिंता थी तो किसी को दवा इलाज और रसोई गैस की। व्यापारियों को रोजगार तो स्कूल अब कब खुलेगा यह सवाल मासूम बच्चों से लेकर बड़े तक पूछते दिखे, लेकिन नजारा बिल्कुल अलग था।
फैजाबाद में हिंदू-मुसलमान एक साथ गुलाबबाड़ी में टहलने निकले, रामनगरी में सरयू स्नान से लेकर मंदिरों में भोर की आरती के साथ घंटे-घड़ियाल की गूंज सब कुछ सामान्य होने का इशारा कर रही थी।