भारतीय सेनाएं चीन की आक्रामकता का माकूल जवाब देने में सक्षम हैं। पूर्वी लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को यह बात कही। यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम के एक सत्र को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा कि चीन की हर गतिविधि पर भारत की नजर है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में राजमार्ग और रेल लाइन समेत चीन की इन्फ्रा परियोजनाओं की भारत निगरानी कर रहा है। भविष्य में चीन को लेकर भारत की रणनीति में इन सभी गतिविधियों से पड़ने वाले असर को ध्यान में रखा जाएगा।
सीडीएस ने पाकिस्तान को भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि चीन के साथ तनातनी के माहौल का फायदा उठाकर अगर पाकिस्तान ने कोई हरकत की, तो उसे बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पाकिस्तान की किसी भी हरकत का जवाब देने की पूरी तैयारी है। जनरल रावत ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की हरकतों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘उत्तर और पश्चिम में भी हम सीमा विवाद का सामना कर रहे हैं। इसलिए सेना की भूमिका अहम है। हमारी सेनाओं को किसी भी संकट से तत्काल निपटने में सक्षम होने और भविष्य के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’
भारत के समक्ष मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए जनरल रावत ने कहा कि भारत बहुत जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें परमाणु से लेकर अन्य पारंपरिक खतरे तक शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन का बढ़ता दखल और हिंद महासागर क्षेत्र की गतिविधियां तथा पाइरेसी, समुद्री आतंकवाद, मानव तस्करी और जैव आतंकवाद जैसे गैर पारंपरिक खतरे सीधे तौर पर भारत के हितों को प्रभावित कर रहे हैं।’
इस बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लद्दाख के अपने दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं। सूत्रों की मानें तो पेगोंग लेक के दक्षिणी तट के आस-पास यथास्थिति को बदलने की चीन की कोशिशों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए सेना प्रमुख का यह दौरा हो रहा है। क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती का निरीक्षण कर रहे सेना के शीर्ष कमांडर सेना प्रमुख नरवाने को ताजा हालात को लेकर भारत की तैयारी से अवगत कराएंगे। बीते दिनों पेगोंग झील इलाके में तब तनाव बढ़ गया था जब चीन ने कुछ स्थानों पर कब्जा करने कोशिश की थी, जिसे सेना ने नाकाम कर दिया था।