सिंगापुर की अदालत ने ड्रग मामलों में फांसी के खिलाफ तीन भारतीय मूल के मलेशियाई लोगों के आवेदन खारिज कर दिए हैं। सिंगापुर के जुमात मोहम्मद सईद और मलेशियाई लिंगकेस्वरन राजेंद्रन, दचिनामूर्ति कटैया और समनाथन सेल्वाराजू ने अपने बयान में कहा कि वकीलों ने उनका प्रतिनिधित्व नहीं किया।
सिंगापुर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मौत की सजा के खिलाफ चारों के आवेदनों को खारिज कर दिया और कहा की कि सभी ने संविधान के अनुच्छेद 9 और 12 का उल्लंघन किया है।
चारों दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा
हाई कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत की सजा 2015 और 2018 के बीच सुनाई थी और सजा के खिलाफ उनकी संबंधित सभी अपीलों को 2016 और 2020 के बीच खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति वैलेरी थीन ने कहा कि आवदेन उनके आपराधिक मामलों में अदालत के अंतिम फैसले के बाद से अपेक्षित तीन महीने की अवधि के बाहर दायर किया गया था।
रिपोर्ट में न्यायाधीश के हवाले से कहा गया है कि यह उनके आपराधिक मामलों में पहले के फैसलों पर अप्रत्यक्ष हमला था। वहीं चार कैदियों ने अपने तर्क में कहा कि दो प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन करते हैं, जो कहता है कि कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।
इससे पहले अक्टूबर में भी ड्रग तस्करी पर हुआ फैसला
गौरतलब है कि मई 2022 में ड्रग तस्करी के मामले में एक भारतीय मूल के मलेशियाई को मौत की सजा सुनाई गई थी जिसे अक्टूबर 2022 में सिगांपुर की अदालत ने बरी कर दिया था। अदालत ने अपने तर्क देते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष ने अपना मामला साबित नहीं किया।
सिंगापुर हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2011 में कार पार्किंग में दो ड्रग कूरियर को एक दूसरे को देने के आरोप में पुनीथन गेनासन को गिरफ्तार किया था। मुकदमे में अभियोजन पक्ष इस बात को साबित करने में विफल रहा कि ड्रग को लेकर आरोपी ने मीटिंग की थी। मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेननन और न्यायमूर्ति एंड्रयू फांग और तांग योंग क्वांग ने कहा कि सूबत न होने के कारण आरोपी को बरी करने का आदेश सुनाया था।