सुप्रीम कोर्ट ने सिंगरौली स्थित एनटीपीसी विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन और सोनभद्र जिले पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए चार करोड़ रुपये से अधिक के हर्जाने पर रोक लगा दी है। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के खिलाफ प्लांट की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य को नोटिस भेजा है।

खंडपीठ में शामिल जस्टिस नवीन सिन्हा और केएम जोसेफ ने कहा कि जुर्माने की वसूली पर फिलहाल रोक रहेगी। थर्मल पावर प्लांट ने एनजीटी 2019 के आदेश के खिलाफ तीन प्लांटों पर पर्यावरण मुआवजा क्रमश: 4.16 करोड़ रुपये, 27 लाख और 45.90 लाख रुपये लगाया था। ट्रिब्यूनल ने यह हर्जाना यह देखते हुए लगाया था कि पर्यावरण मानकों के उल्लंघन से रिहंद बांध समेत कई जलाशयों को नुकसान पहुंचा था। सोन, रेणु, बिजुल, कन्हार, गोपद, पंकगन, कठौता कंचन आदि नदियों, जलधारा व नाले बलिया नाला, चटका नाला, कहुवा नाला, टिप्पा झरिया, डोंगिया नाला आदि का पानी तो प्रदूषित हुआ ही है, भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चुका है।
इन थर्मल पावर प्लाटों से निकलने वाले रासायनिक कचरे और राख से पानी बुरी तरह से दूषित हो चुका है। इसीलिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण करने वालों की पहचान करके उनसे हर्जाना वसूलने का आदेश दिया था। एनजीटी ने सिंगरौली प्लांट के खिलाफ यह आदेश एक कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद दिया था।
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