ज्यादा चीनी वाले पेय पदार्थों के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में यह आशंका जताई गई है। पिछले कुछ दशक में दुनियाभर में चीनी वाले पेय पदार्थों की खपत बढ़ी है और मोटापे से इसका संबंध भी सामने आ चुका है। यही मोटापा आगे चलकर कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। हालांकि कैंसर और ऐसे पेय पदार्थों के बीच संबंध को लेकर अब भी ज्यादा शोध नहीं हुए हैं।
हालिया अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने फ्रांस के 1,01,257 स्वस्थ लोगों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया। इन सबकी औसत उम्र 42 साल थी। नौ साल तक चले अध्ययन में पाया गया कि रोजाना चीनी वाले पेय पदार्थों की 100 मिलीलीटर मात्रा बढ़ाने से कैंसर का खतरा 18 फीसद तक बढ़ जाता है। वहीं, स्तन कैंसर का खतरा 22 फीसद तक बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इसे अभी अंतिम परिमाण नहीं माना जा सकता है। अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
सॉफ्ट डिंक्स और एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थो का ज्यादा सेवन करने वाले लोग सचेत हो जाएं। इनके सेवन से फैटी लीवर रोग का खतरा हो सकता है। नए अध्ययन के अनुसार, मीठे खाद्य पदार्थो और साफ्ट डिंक्स के सेवन को सीमित करने से हानिकारक स्थितियों मसलन मोटापे से भी बचा जा सकता है। इसकी चपेट में तेजी से वयस्क आ रहे हैं। फैटी लीवर डिजीज या नॉन-एल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस बाद में कैंसर का कारण भी बन सकता है।
फैटी लीवर दो तरह का होता है। एक एल्कोहलिक फैटी लीवर, जिसमें एल्कोहल के अधिक सेवन के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और फैट जमने लगता है। दूसरा है नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर, जिसमें अन्य कारणों से लीवर के आस-पास फैट जमा हो जाता है। दोनों ही प्रकार के फैटी लीवर खतरनाक हैं इसलिए इनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।
क्या हैं लक्षण
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर के सामान्य तौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते। जब ये होते हैं तो अमूमन ये लक्षण नजर आते हैं-
- थकान
- दायें एब्डोमन के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में गिरावट
फैटी लीवर से ऐसे बचें
- लाइफ-स्टाइल में बदलाव करें
- नियमित व्यायाम और प्राणायाम आदि करें
- उचित समय पर डॉक्टर को दिखाएं औऱ इलाज शुरु करवाएं
फैटी लीवर
फैटी लीवर एक शब्द है जो लिवर में फैटजमा होने का कहते हैं। लीवर में 5 से 10 फीसदी से अधिक फैट जमा होना फैटी लीवर का संकेत है। फैटी लीवर रिवर्सिबल कंडीशन है जिससे लाइफस्टाइल में सुधार कर ठीक किया जा सकता है। इसके ऐसे कोई लक्षण नहीं होते जो स्थायी तौर पर लीवर को नुकसान पहुंचा दें।
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर का कारण
शहरीकरण के दौर में लोगों के लाइफ स्टाइल में कई सारे बदलाव आए हैं जिससे लोगों में ओवरवेट, मोटापा और डायबिटीज की समस्या होने लगी है। ये तीनों कारक ही फैटी लीवर के सबसे बड़े कारक माने जाते हैं। ऐसे में अगर आप अल्कोहल नहीं ले रहे हैं और आपको इन तीनों में से कोई भी समस्या है तो आपको फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो ये सिरोसिस लिवर में बदल सकता है। ये लीवर डैमेज होने की अवस्था है।